कॉलेज में प्यार और बस में इजहार, कुछ ऐसी थी शीला दीक्षित की लव स्टोरी

Edited By Anil dev,Updated: 20 Jul, 2019 06:08 PM

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दिल्ली के पूर्व सीएम व दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहीं शीला दीक्षित का निधन हो गया है। 81 वर्षीय शीला आखिरी दौर तक राजनीति में सक्रिय थीं। उनका निधन दिल का दौरा पडऩे से हुआ है। बीमार शीला का एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।

नई दिल्ली: दिल्ली के पूर्व सीएम व दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहीं शीला दीक्षित का निधन हो गया है। 81 वर्षीय शीला आखिरी दौर तक राजनीति में सक्रिय थीं। उनका निधन दिल का दौरा पडऩे से हुआ है। बीमार शीला का एस्कॉर्ट हॉस्पिटल में इलाज चल रहा था।पारिवारिक सूत्रों ने बताया कि उन्हें शुक्रवार सुबह सीने में जकडऩ की शिकायत के बाद एस्काट्र्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। शीला दीक्षित ने अपनी किताब सिटीजन दिल्ली: माय टाइम्स, माय लाइफ में अपनी प्यार की कहानी का जिक्र करते हुए बताया कि कैसे उन्होंने अपने प्रेमी से शादी करने के लिए दो साल का इंतजार किया था।

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पहली नजर में ही विनोद से हो गया था प्यार
शीला दीक्षित ने अपनी किताब में लिखा कि प्राचीन भारतीय इतिहास का अध्ययन करते समय उनकी मुलाकात विनोद नाम के एक शख्स से हुई थी, जो उनकी जिंदगी के पहले और आखिरी प्यार साबित हुए। उन्होंने अपनी किताब में लिखा कि विनोद उन्ही की क्लास के बाकी स्टूडेन्ट्स से सबसे अलग थे। ऐसा नहीं है कि उन्हें विनोद से पहली नजर में ही प्यार हो गया था। लेकिन वह काफी अलग से थे। उनकी पहली धारणा भी विनोद के लिए अलग सी ही थी। विनोद काफी लंबे सुंदर, सुडौल साथियों के बीच काफी प्रसिद्ध और एक अच्छे क्रिकेटर थे। इसके अलावा बात करें शीला दीक्षित और उनके पति की तो दोस्तों के प्रेम विवादों को सुलझाते - सुलझाते दोनों एक- दूसरे के करीब आते गए।

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विनोद से खुलकर बात नहीं कर पाती थी शीला दीक्षित
शीला दीक्षित ने आगे लिखा कि कई बार मन होने के बाद भी वह विनोद से खुल कर बात नहीं कर पाती थी परंतु वो इन्ट्रोवर्ट थी। वहीं जबकि विनोद खुले विचार रखने वाले, हंसमुख आंदाज और एक्स्ट्रोवर्ट थे। लेकिन शीला दीक्षित ने एक दिन अपने दिल की बात उनके सामने रखने के लिए घंटे भर तक विनोद के साथ एक डीटीसी बस में सफर किया था। इसके साथ ही शीला दीक्षित ने अपनी किताब में इस बात का वर्णन करते हुए लिखा कि विनोद ने उनसे शादी करने की बात भी बस में ही की थी। जब वो फाइनल ईयर की परीक्षा देने की तैयार कर रहे थे। तब एक दिन पहले 10 नंबर की बस में चांदनी चौक के पास विनोद ने शीला को बताया कि वो अपनी मां को यह बताने जा रहे है कि उन्होंने अपने लिए एक लड़की चुन ली है, जिससे वह शादी करेंगे। 

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इस बात को सुनते ही शीला ने विनोद से कहा था कि क्या तुमने उस लड़की से उसकी दिल की बात पूछी? तब विनोद ने कहा था कि नहीं, लेकिन वो लड़की बस में मेरी सीट के आगे ही बैठी है। लेकिन इस घटना के कुछ दिन बाद उन्होंने अपने माता - पिता को विनोद के बारे में सब बता दिया था। लेकिन वो लोग शादी को लेकर आशंकित थे कि विनोद तो अभी एक स्टूडेन्ट है ऐसे में इनकी गृहस्थी कैसे चलेगी? पर बाद में यह मामला थोड़ा ठंडा पडऩे लगा। इसके बाद शीला ने मोतीबाग में एक दोस्त की मां के नर्सरी स्कूल में 100 रुपये के वेतन पर नौकरी कर ली और विनोद अपने आईएएस एग्जाम की तैयारी में जुट गए। उस दौरान इन दोनों की मुलाकात बहुत कम हुआ करती थी। एक साल 1959 में जब विनोद का चयन आईएएस के लिए हो गया तो उन्होंने यूपी कैडर चुना था।

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शाली ने आगे लिखा कि विनोद यूपी के उन्नाव के एक कान्यकुब्ज ब्राह्मण परिवार से संबंध रखते थे। उनके पिता उमाशंकर दीक्षित एक स्वतंत्रता सेनानी, हिन्दीभाषी और उच्च संस्कारों व्यक्ति थे। उनसे जब विनोद ने जनपथ के एक होटल में मुलाकात कराई थी तो वह काफी घबराई हुई थी। लेकिन दादाजी ने काफी प्रश्न पूछे थे और आखिर में वह काफी खुश थे। इस दौरान दादाजी ने यह तक कहा था कि उन्हें शादी के लिए कम से कम दो हफ्ते, दो महीने या फिर दो साल तक का इंतजार करना पड़ सकता है। इसकी वजह यह थी कि विनोद की मां को अंतर जातीय विवाह के लिए मनाना जरुरी था। और ऐसे दो साल बीत गए। 11 जुलाई , 1962 दोनों शादी के बंधन में बंध गए।


 

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