Edited By Hitesh,Updated: 26 Apr, 2021 11:31 AM
पश्चिम दिल्ली के शहीद भगत सिंह कैम्प में रहने वाले लोग अपने घर-बार छोड़कर गांव वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं और इसकी वजह नजदीक के श्मशान घाट पर बड़े स्तर पर शवों का अंतिम संस्कार का होना है जिससे इलाके में धुआं छा जाता है और बदबू का माहौल होता है।...
नेशनल डेस्क: पश्चिम दिल्ली के शहीद भगत सिंह कैम्प में रहने वाले लोग अपने घर-बार छोड़कर गांव वापस जाने की तैयारी कर रहे हैं और इसकी वजह नजदीक के श्मशान घाट पर बड़े स्तर पर शवों का अंतिम संस्कार का होना है जिससे इलाके में धुआं छा जाता है और यहां बदबू का माहौल है। झुग्गी कॉलोनी के निवासियों को इससे कोविड-19 महामारी के फैलने का भी खतरा सता रहा है।
पहले 3-4 और अब 200-250 शवों का अंतिम संस्कार हो रहा है
लोगों का कहना है कि श्मशान घाट के इतने नजदीक रहना कभी भी आसान नहीं था, जहां पहले एक दिन में तीन-चार शवों का दाह संस्कार किया जाता था वहीं अब करीब 200-250 शवों का अंतिम संस्कार किया जा रहा है। इलाके में रहने वाली सरोज कहती हैं कि उनकी आंख शवों के जलने की गंध से खुलती है और वे रात में इसी स्थिति में सोती हैं। झुग्गी कॉलोनी में करीब 900 झुग्गियां हैं जिनमें 1500 लोग रहते हैं जो पश्चिम पुरी श्मशान घाट से चंद मीटर की दूरी पर स्थित है।
38 वर्षीय कूड़ा उठाने वाली सरोज ने ‘पीटीआई-भाषा' से कहा, “ यह बहुत डरावनी स्थिति है। हम एम्बुलेंसों को आते जाते देखते रहते हैं और रात हो या दिन हो, गंध और धुआं लगातार बना रहता है। ” वह कहती हैं कि कोरोना वायरस से संक्रमित होने का खतरा भी रहता है और 24 घंटे तथा सातो दिन श्मशान घाट पर चिताओं के जलने से न दिमागी सुकून मिलता है और न नींद आती है। 14 अप्रैल की रात को स्लम कॉलोनी में आग लग गई थी जिसमें कोई हताहत तो नहीं हुआ था लेकिन 30 झुग्गियां जल गई थीं। इससे सरोज तथा उनके पड़ोसी उबरने की कोशिश कर रहे हैं। सरोज का आधा घर भी इस आग में जल गया था और वह इस दर्द से उबर ही रही थी कि कोविड-19 को नियंत्रित करने के लिए लॉकडाउन लगा दिया गया। सरोज की पड़ोसी ककोली देवी कहती हैं कि बृहस्पतिवार को करीब 300 शवों का दाह संस्कार किया गया है। बीते दो दिनों में 200-250 शवों का अंतिम संस्कार किया गया है। हालांकि इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा नहीं है।