मां वैष्णो देवी: घोड़ा चालकों की मनमर्जी से श्रद्धालु हुए परेशान, श्राइन बोर्ड प्रशासन से लगाई गुहार

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Jul, 2022 02:58 PM

devotees were troubled by the will of the horse drivers

जम्मू कश्मीर के कटड़ा में त्रिकुटा पर्वत पर बैठी मां वैष्णो देवी के दीदार का इंतजार श्रद्धालुओं को प्रतिदिन रहता है। लेकिन दुर्गम पहाड़ी 12 किलोमीटर का लंबा सफर होने के कारण बहुत से श्रद्धालु मां भगवती के दर्शन करने की इच्छा अपने मन में हा दवाए रखते...

कटड़ा (अमित): जम्मू कश्मीर के कटड़ा में त्रिकुटा पर्वत पर बैठी मां वैष्णो देवी के दीदार का इंतजार श्रद्धालुओं को प्रतिदिन रहता है। लेकिन दुर्गम पहाड़ी 12 किलोमीटर का लंबा सफर होने के कारण बहुत से श्रद्धालु मां भगवती के दर्शन करने की इच्छा अपने मन में हा दवाए रखते हैं, क्योंकि हर किसी के लिए पैदल वैष्णो देवी यात्रा करना संभव नहीं होता। हालांकि बोर्ड प्रशासन द्वारा श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए हेलीकॉप्टर सेवा, बैटरी कार सेवा, रोपवे सेवा सहित प्राचीन काल से चले आ रहे घोड़ो की सुविधा को सुचारु रखा गया है।
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इन दिनों बरसात के मौसम के चलते हेलीकॉप्टर सेवा प्रभावित है, तो वहीं नए मार्ग पर पत्थर गिरने के चलते एहतियातन बैटरी कार सेवा को भी बोर्ड प्रशासन द्वारा बंद किया है। जिसके बाद वैष्णो देवी यात्रा हेतु एक मात्र विकल्प घोड़ा ही बचा है। वही घोड़ो की संख्या कम होने पर मांग ज्यादा होने के चलते अक्सर घोड़ा चालक यात्रा मार्ग पर मनमर्जी करते नज़र आते है। रविवार को भी ऐसा ही नजारा यात्रा मार्ग पर देखने को मिला जब दर्शनों को आए यात्री घोड़े वालो से भवन तक जाने की गुहार लगाते नज़र आये, जबकि घोड़ा चालक घोड़ा बुक होने सहित अन्य बहाने लगते हुए टालते नज़र आये। ऐसे में हर श्रद्धालु की नज़र बोर्ड प्रशासन की और है, की आखिर कब श्राइन बोर्ड प्रशासन इस संबंध में कड़ा संज्ञान लेगा। और देश के कोने कोने से माँ वैष्णो देवी के दीदार की ईष्या लेकर पहुंचे श्रद्धालुओं को इस घोड़ा चालको की मनमर्जी ब अधिकबसूली से राहत मिलेगी।

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क्या कहते है बोर्ड प्रशासन के अधिकारी

इस संबंध में जब बात करने के लिए जब सीईओ श्राइन बोर्ड अंशुल गर्ग से रविवार को दोबारा फोन पर संपर्क साधा गया तो उन्होंने फ़ोन न उठाया। ऐसा नही है कि बोर्ड अधिकारी यात्रा मार्ग पर यात्रियों को पेश आ रहे परेशानी से रूबरू नही है। पर उनकी चुप्पी दर्शाती है की बोर्ड प्रशासन की मिलीभगत है, या फिर बोर्ड प्रशासन इस संबंध में कोई ठोस कदम उठाना नही चाहता है।

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