Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Apr, 2019 08:57 AM
देश में निर्मित पहली आर्टिलरी गन धनुष भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हो गई। जबलपुर की गन कैरेज फैक्टरी (जी.सी.एफ.) में निर्मित 6 धनुष गन सेना के सुपुर्द कर दी गईं। जी.सी.एफ. मेें केन्द्र सरकार के रक्षा सचिव उत्पादन डॉ. अजय कुमार के मुख्य आतिथ्य
नेशनल डेस्क: देश में निर्मित पहली आर्टिलरी गन धनुष भारतीय सेना के बेड़े में शामिल हो गई। जबलपुर की गन कैरेज फैक्टरी (जी.सी.एफ.) में निर्मित 6 धनुष गन सेना के सुपुर्द कर दी गईं। जी.सी.एफ. मेें केन्द्र सरकार के रक्षा सचिव उत्पादन डॉ. अजय कुमार के मुख्य आतिथ्य में आयोजित कार्यक्रम में भारतीय सेना के महानिदेशक लैफ्टीनैंट जनरल पी.के. श्रीवास्तव को धनुष आर्टिलरी गन की पहली खेप सौंपी गई। कार्यक्रम में आयुध निर्माण बोर्ड के अध्यक्ष तथा महानिदेशक सौरभ कुमार, आर्टिलरी स्कूल के कमांडैंट लैफ्टीनैंट जनरल आर.एस. सलारिया, मेजर जनरल मनमीत सिंह और बोर्ड के सदस्य हरिमोहन विशेष रूप से उपस्थित थे। कार्यक्रम के बाद नवनिर्मित धनुष आर्टिलरी गन को हरी झंडी दिखाकर फैक्टरी से रवाना किया गया।
‘धनुष’ की खासियत
- रक्षा सचिव डॉ. कुमार व बोर्ड के अध्यक्ष सौरभ कुमार ने बताया कि धनुष 155 एम.एम. 45 कैलीबर की आधुनिक आर्टिलरी गन में से एक है।
- इस आर्टिलरी गन में 81 प्रतिशत पार्ट स्वदेशी है और लक्ष्य 91 प्रतिशत स्वदेशी पार्ट्स का है। उन्होंने बताया कि इस गन की मारक क्षमता 38 किलोमीटर तक है।
- यह 13 सैकेंड में 3 फायर कर सकती है। फायर करने के बाद गन अपनी पॉजीशन चेंज कर करती है।
- आर्टिलरी गन का वजन 13 टन है। आर्टलरी गनों की तुलना में यह तोप वजन में हल्की और इंजनयुक्त है
- इसपर ठंडे, गर्म मौसम का कोई असर नहीं होता। यह तोप पूरी तरह ऑटोमेटिक है। इसको ऊबड़-खाबड़ रास्ते या पहाड़ी, रेतीले क्षेत्रों तक ले जाना आसान है।
- यह तोप देश की सीमा में रहकर भी एलओसी के दूसरे पार अचूक हमला कर सकती है।