भारत के लिए बेहतर रहेंगी हिलेरी क्लिंटन

Edited By ,Updated: 03 May, 2016 12:36 AM

duplication foreign policy priority unemployment aggression

अमरीका के कई राज्यों में लगातार जीत हासिल करके राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार उोनाल्ड ट्रंप की स्थिति मजबूत हो रही है। संभव है कि

अमरीका के कई राज्यों में लगातार जीत हासिल करके राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार उोनाल्ड ट्रंप की स्थिति मजबूत हो रही है। संभव है कि वे जीत भी जाएंं,लेकिन भारत और अन्य देशों की बात करें तो इनके लिए हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति बनना अधिक फायदेमंद होगा। कई बार देखा गया है कि ट्रंप की सोच डगमगा जाती है। वह अपने ही बयान को बदल कर पेश करते हैं। उदाहरण के लिए कुछ दिन पहले उन्होंने कहा था कि वे गैर-अमरीकियों की नौकरियों पर नियंत्रण करेंगे। लेकिन, साथ ही यह भी कह दिया कि अमरीकी संस्थानों में पढ़ रहे भारतीय छात्रों को बाहर निकाला नहीं जा सकता। ऐसे मेधावी छात्रों की अमरीका को जरूरत है। साफतौर पर यह दोहरापन लिए हुए बयान है। एक तरफ तो ट्रंप नाराज हैं कि अमरीका में भारतीयों के नौकरी करने से इनका ज्यादातर लाभ भारत में चला आता है, वहीं वे चाहते हैं कि जो भारतीय अमरीका आए, तो वहीं रुक जाएं, ताकि वे पूरा जीवन अमरीका की सेवा कर सकेंं। 

ट्रंप विदेशी कौशल को भला—बुरा भी कह देते हैं और उनकी मदद भी चाहते हैं। दरअसल, उनकी प्राथमिकता अमरीका का हित है। इसमें दो राय नहीं कि अमरीकियों का वोट पाने के लिए ट्रंप अमरीकी युवाओं के लिए नौकरियों की बात करते हैं। यह सामान्य बात है, लेकिन जिस आक्रामक तरीके से वे अपनी बात कहते हैं, बेरोजगारी के शिकार अमरीकी युवाओं के लिए यह उचित लगता है। वे ट्रंप को सुनना चाहते हैं। उन्हें यह तसल्ली मिलती है कि उनकी नौकरियां अब गैर-अमरीकी लोगों को नहीं मिलेंगी।

हिलेरी क्लिंटन अमरीका की राष्ट्रपति बनें या डोनाल्ड ट्रंप, वे अपने-अपने तरीके या नीतियों के विश्वास से अमरीका के हित की ही बात करते हैं। भारत और अन्य देशों के लिए हिलेरी क्लिंटन पसंद रहेंगी। डोनाल्ड ट्रंप बहुत ही आक्रामक भाषा और किसी के भी खिलाफ कब मोर्चा खोल इसके बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता। उनका कोई राजनीतिक अनुभव भी नहीं है। यदि वे अमरीका के सर्वोच्च पद पर बैठना चाहते हैं इस लिहाज से भाषा में शालीनता होनी ही चाहिए। वे विशुद्ध रूप से उद्यमी हैंं। उनके बयानों से तो यही लगता है कि अगर वे राष्ट्रपति बनते हैं,संभव है कि अमरीकियों के लिए कुछ अच्छा कर जाएं, लेकिन विदेश नीति के लिहाज से उनके फेल होने की पूरी आशंका है। उनकी मुख्य प्रतिद्वंदी हिलेरी क्लिंटन बेहतरीन राजनीतिक समझ रखती हैं। विदेश मंत्री रहते हुए वे विश्वभर की राजनीति से रूबरू रही हैं। कहा जा सकता है कि सिर्फ अमरीका के लिए ही नहीं, भारत के लिए और पूरी दुनिया के लिए भी अच्छा साबित होंगेी। 

कुछ दिन पहले अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा ने स्वयं हिलेरी क्लिंटन का समर्थन किया। उन्होंने निजी तौर पर अमरीका के लोगों से कहा कि वे क्लिंटन के साथ आएं।इससे लगता है कि अमरीका राष्ट्रपति पद की दावेदारी के चुनाव में हिलेरी क्लिंटन का पलड़ा भारी हो सकता है। वेसे भी घरेलू राजनीति में ओबामा और क्लिंटन के बीच यदि छोटे-मोटे मतभेदों को छोड़ दिया जाए तो कोई बड़ा मतभेद नहीं है। साथ ही, विदेश नीति के मामले में भी ओबामा और क्लिंटन की नीति में कुछ खास अंतर नहीं है। ऐसे में ओबामा के समर्थकों के बीच एक संदेश तो जाएगा ही कि वे क्लिंटन के साथ जाएं। ट्रंप की आक्रामकता को देखते हुए क्लिंटन को मिले ओबामा के समर्थन से अमेरिकी जनता में एक सकारात्मक संदेश जरूर जाएगा। दूसरे शब्दों में, ओबामा के परंपरागत वोट क्लिंटन को मिलने की पूरी संभावना बन रही है।

विश्व में कहीं भी चुनाव होते हैं उस देश के चुनावी मौसम में मुद्दों की भरमार निकलते ही रहती है। अमरीका में भी कुछ प्रमुख मुद्दे हैं। जैसे- गन कंट्रोल, आतंकवाद, हेल्थ केयर आदि। जिन पर दोनों नेताओं ने अपने-अपने विचार व्यक्त करते रहते हैं। यह जरूर है कि  ट्रंप की लॉबी पूरी अमरीका में है। उनकी आक्रामकता तो गन कंट्रोल के मुद्दे पर दिखी नहीं। हिलेरी भी उतना ही बोली हैं जितना अमरीका के हित में था। क्योंकि दुनियाभर में आतंकवाद को खत्म करने को लेकर उन्हें हथियार तो चाहिए ही, इसलिए आतंकवाद को लेकर कोई भी अमरीकी नेता किसी तरह का समझौता नहीं कर सकता। 

अगर क्लिंटन जीत जाती हैं तो हेल्थ केयर को सफल नीति को आगे बढ़ाएंगी। यदि ट्रंप जीत गए, तो वे इस स्वास्थ्य नीति को शायद खत्म कर दें। कुल मिला कर देखें, तो अमरीका की घरेलू राजनीति के लिहाज से, उसकी विदेश नीति, लोकतंत्र के लिहाज से और विभिन्न स्थानीय मुद्दों के लिहाज से डोनाल्ड ट्रंप के मुकाबले हिलेरी क्लिंटन का राष्ट्रपति बनना भारत और अन्य के लिए ज्यादा बेहतर होगा। 

 
 

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