लॉकडाउन: सरकार के गरीब आर्थिक राहत पैकेज से क्या भर सकेगा देश के गरीब का पेट? पढ़ें खास रिपोर्ट

Edited By Chandan,Updated: 27 Mar, 2020 07:27 PM

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कोरोना वायरस से जूझते देश की गरीब जनता के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान कर दिया है। इस राहत पैकेज की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कमजोर तबके पर खास ध्यान देने की बात कही।

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से जूझते देश की गरीब जनता के लिए केंद्र सरकार ने आर्थिक राहत पैकेज का ऐलान कर दिया है। इस राहत पैकेज की घोषणा करते हुए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कमजोर तबके पर खास ध्यान देने की बात कही।

सीतारमण ने कहा, 1 करोड़ 70 लाख रुपए के इस पैकेज में कमजोर तबके का ध्यान रखा गया है। खासतौर पर किसानों, महिलाओं, निर्माण कार्य से जुड़े लोगों, वरिष्ठ नागरिकों, विधवाओं और दिव्यांगों का। लेकिन जानकारों की माने तो वित्त मंत्री की यह घोषणा, आबादी के 30% से ज्यादा लोगों यानी भारत की गरीब जनता के लिए कम है। सरकार का यह राहत पैकेज भारत की जीडीपी का महज 1% ही है। ऐसे में सवाल यह है कि क्या वाकई सरकार के इस पैकेज से गरीब तबके का भला हो पाएगा?

क्या है चिंता की बात
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्र सरकार के इस पैकेज से जुड़े कई ऐसे सवाल हैं जिनके जवाब सरकार को भी ढूढने होंगे। इस आर्थिक राहत पैकेज में इसका आकार ही इसकी चिंता का कारण नहीं है  बल्कि असंगठित क्षेत्र के कर्मचारी, जिन्होंने लॉकडाउन के चलते अपनी नौकरी और तनख्वाह दोनों खोई हैं, उन्हें कितनी जल्दी इसका फायदा मिलता है, वो भी तब जब इस वर्ग पर स्वास्थ्य सेवाओं की कमी का सबसे ज्यादा खतरा है। इस हिसाब से देखा जाए तो केंद्र सरकार का यह पैकेज बेहद देरी से आया है और यह एक बड़ी चिंता का सवाल है।

जबकि इस राहत पैकेज से पहले केरल सरकार ने पिछले हफ्ते ही लोगों को आर्थिक मदद पहुंचाने के लिए 20,000 करोड़ के राहत पैकेज का ऐलान किया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, तेलंगाना और राजस्थान ने भी राहत पैकेज की घोषणाएं शुरू की थी।

किस आधार पर मिलेगा पैकेज
रिपोर्ट कहती है कि इस आर्थिक पैकेज में अभी यह भी साफ नहीं है कि सरकार ने असंगठित क्षेत्र के कर्मियों के लिए क्या योजनाएं तैयार की हैं। जैसे धोबी, रिक्शावालों, नाई और ग्रामीण कामगार, जो राज्य सरकार के किसी लेखे-जोखे में कहीं रजिस्टर्ड नहीं होते हैं। इसके अलावा वो लोग भी जो निर्माण कार्यों से जुड़े है और राज्य सरकार से नहीं जुड़े हैं। ऐसे लोगों को कैसे फायदा मिलेगा यह अभी तय नहीं है।

किस वर्ग को क्या मिला
किसानों के लिए सरकार ने 17,380 करोड़ रुपए के राहत पैकेज का ऐलान किया। यह रकम किसानों को प्रधानमंत्री किसान योजना के तहत दी जाएगी।

निर्माण कार्य से जुड़े कर्मचारियों के लिए भी सरकार ने उसी फंड को खर्च करने का निर्देश दिया, जो केंद्र और राज्य सरकारें निर्माण के खर्च पर 1% सेस लगाकर एकत्र करती हैं।

इसके अलावा मनरेगा (MNREGA) का काम करने वालों के दैनिक वेतन में 20 रुपए बढ़ाये गए हैं, यानी ये रकम 182 रुपए से 202 रुपए हुई है। यह कम है और काम का भी नहीं है क्योंकि अभी लॉकडाउन के बीच काम करने से ही रोक दिया गया है। ऐसे में सरकार को उन्हें तुरंत सुविधा देने के लिए डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर स्कीम के जरिए फायदा पहुंचाना चाहिए था।

सरकार कर सकती थी बेहतर प्रयास
वहीँ, ऐसे समय में जब कहीं काम करने की स्थिति ही नहीं बन रही है तब मनरेगा योजना में काम करने वाले गरीब व्यक्ति को सरकार कि तरफ से आगे काम न मिलने की सम्भावनाओं को देखते हुए कम से कम 15 दिन की राशि देनी चाहिए थी।

जानकर मानते हैं कि अगर यह राशि करीब 3 हजार रुपए प्रति कर्मचारी के आसपास होती तो बेहतर होता, इसे ऐसे भी समझ सकते हैं कि अगर कुल 13.65 करोड़ जॉब कार्ड के हिसाब से भी सरकार अगर एक खाते में तीन हजार रूपये भी देती तो उसका खर्च 41 हजार करोड़ से ज्यादा नहीं आता

 

 

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