भारतीय कंपनियों ने निकाली रूस से कारोबार करने की जुगत

Edited By DW News,Updated: 12 Aug, 2022 11:47 AM

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भारतीय कंपनियों ने निकाली रूस से कारोबार करने की जुगत

अमेरिकी प्रतिबंधों से बचकर रूस से कारोबार करने के लिए भारतीय कंपनियां एक नई जुगत का इस्तेमाल कर रही हैं. रॉयटर्स ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है.भारतीय कंपनियों ने अमेरिका और पश्चिमी देशों द्वारा रूस पर लगाए गए प्रतिबंधों को गच्चा देकर उसके साथ कारोबार करने की जुगत निकाली है. समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने अपनी एक्सक्लूसिव रिपोर्ट में बताया है कि भारतीय कंपनियां रूस से कोयला आयात करने के लिए एशियाई मुद्राओं का इस्तेमाल कर रही हैं. कारोबारी सूत्रों के हवाले से रॉयटर्स ने लिखा है कि प्रतिबंधों का उल्लंघन टालते हुए भारतीय कंपनियां रूस से कारोबार जारी रखे हुए हैं और अब डॉलर के बाहर लेनदेन लगातार बढ़ रहा है. यूक्रेन में युद्ध शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से कोयला और तेल का आयात काफी मात्रा में बढ़ा दियाहै. इससे रूस को पश्चिमी प्रतिबंधों का असर कम करने में बड़ी मदद मिली है और भारत को अन्य देशों के मुकाबले सस्ते दामों पर ज्यादा कच्चा माल मिल गया है. बढ़ रहा है आयात जुलाई में रूस भारत का तीसरा सबसे बड़ा कोयला निर्यातक बन गया था. जून के मुकाबले जुलाई में भारत ने करीब 20 फीसदी ज्यादा यानी लगभग 20.6 लाख टन कोयला आयात किया. जून में भारतीय खरीददारों ने कम से कम 742,000 टन कोयला खरीदने के लिए डॉलर के इतर अन्य मुद्राओं में भुगतान किया. यह जानकारी रॉयटर्स को एक सूत्र से मिली है जिसने कस्टम डॉक्युमेंट्स के आधार पर भारत द्वारा किए गए समझौतों का संक्षिप्त विवरण तैयार किया है. यह रूस से कुल आयात हुए 17 लाख टन कोयले का लगभग 44 प्रतिशत है. दस्तावेजों के मुताबिक भारत के स्टील और सीमेंट निर्माताओं ने रूसी कोयला खरीदने के लिए यूएई दिरहम, हांगकांग डॉलर, युआन और यूरो जैसी मुद्राओं में भुगतान किया है. गैर-अमेरिकी डॉलर भुगतान में युआन की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत रही जबकि 28 प्रतिशत भुगतान हांगकांग डॉलर में किया गया. यूरो में करीब एक चौथाई भुगतान हुआ. जर्मनी रूस से मुंह मोड़ेगा, तो तेल, गैस, कोयला कहां से लाएगा इस बारे में पूछे गए सवालों का भारतीय वित्त और वाणिज्य मंत्रालयों ने कोई जवाब नहीं दिया. भारतीय रिजर्व बैंक ने भी इस बारे में कोई टिप्पणी नहीं की है. आरबीआई ने भारतीय रुपये में भुगतान की इजाजत दी है, जिसे रूस के साथ अपनी मुद्रा में व्यापार बढ़ाने को आसान बनाने वाले कदम के रूप में देखा जा रहा है. और बढ़ेगा सिलसिला कारोबारियों का कहना है कि अब तक भारतीय आयात के लिए अमेरिकी डॉलर में ही ज्यादातर भुगतान होता रहा है. भारतीय विदेशी मुद्रा भंडार का ज्यादातर हिस्सा भी अमेरिकी डॉलर ही है. अगर कारोबारी अमेरिकी डॉलर के अलावा किसी मुद्रा में भुगतान करना चाहते हैं तो पहले उन्हें अमेरिकी मुद्रा को बैंकों से बदलवाना पड़ता है. ऐसा या तो उस देश के बैंकों में हो पाता है जहां की मुद्रा में भुगतान हो रहा है, या फिर किसी विशेष बैंक से समझौते के तहत भी ऐसा किया जा सकता है. यह भी पढ़ेंः मुकेश अंबानी ने बताया, कैसे ऊर्जा सुपरपावर बन सकता है भारत भारत से काम करने वाले कम से कम दो और यूरोप में स्थित एक भारतीय व्यापारी ने रॉयटर्स को बताया कि वे रूसी कोयले के लिए आने वाले समय में अमेरिकी डॉलर के अलावा अन्य मुद्राओं में कारोबार में बढ़त की उम्मीद कर रहे हैं क्योंकि बैंक और अन्य वित्तीय संस्थान भी प्रतिबंधों की मार से खुद को बचाने के रास्ते खोज रहे हैं. हालांकि भारतीय कंपनियों के लिए रूसी कोयला खरीदने के लिए अमेरिकी डॉलर का प्रयोग अवैध नहीं है. रूस से कोयला आयात करने वाली भारतीय कंपनियों में जिंदल स्टील एंड पावर लिमिटेड भी शामिल है जिसने 79,721 टन कोयला खरीदा. आर्सेलर मित्तल निपोन स्टील इंडिया ने 35,000 टन कोयला खरीदा और उसके लिए यूरो में भुगतान किया. दोनों ही कंपनियों ने इस बारे में टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. भारत की जेके लक्ष्मी सीमेंट ने जुलाई में 10,000 टन कोयला खरीदा जिसेक लिए 146.2 लाख यूएई दिरहम अदा किए गए. कंपनी ने भी रॉयटर्स के ईमेल का कोई जवाब नहीं दिया. वीके/एए (रॉयटर्स)

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