Edited By Seema Sharma,Updated: 27 Sep, 2023 09:25 AM
भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में ‘राजनीतिक सहूलियत' को आड़े नहीं आने देने का आह्वान किया।
नेशनल डेस्क: भारत ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से आतंकवाद, चरमपंथ और हिंसा पर अपनी प्रतिक्रिया तय करने में ‘राजनीतिक सहूलियत' को आड़े नहीं आने देने का आह्वान किया। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने यहां संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 78वें सत्र की आम बहस को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि क्षेत्रीय अखंडता के प्रति सम्मान और अंदरूनी मामलों में हस्तक्षेप की कवायद चुनिंदा तरीके से नहीं की जा सकती। विदेश मंत्री ने कहा कि 2020 में गलवान में हुई हिंसा के बाद से भारत और चीन के बीच संबंध असामान्य स्थिति में हैं। साथ ही जयशंकर ने कहा कि बार-बार रिश्ते तोड़ने वाले देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है। उन्होंने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच इस तरह का तनाव हो, तो इसका असर हर किसी पर पड़ेगा।
दरअसल काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन में विदेश मंत्री से भारत चीन संबंधों को लेकर सवाल पूछा गया था जिसके जवाब में उन्होंने कहा कि आप जानते हैं, चीन के साथ व्यवहार करने का आनंद यह है कि वे आपको कभी नहीं बताते कि वे ऐसा क्यों करते हैं? इसलिए आप अक्सर इसका पता लगाने की कोशिश करते हैं और यह हमेशा होता है, वहां कुछ अस्पष्टता बनी रहती है। जयशंकर ने कहा कि ऐसे देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है जिसने समझौते तोड़े हैं और जिसने वो किया, जो करता रहा है इसलिए यदि आप पिछले तीन सालों को देखें, तो यह एक बहुत ही असामान्य स्थिति है।
विदेश मंत्री ने कहा कि संपर्क बाधित हो गए हैं, यात्राएं नहीं हो रही हैं। हमारे बीच निश्चित रूप से उच्च स्तर का सैन्य तनाव है, इससे भारत में चीन के प्रति धारणा पर भी असर पड़ा है। उन्होंने कहा कि हमारे बीच 1962 में युद्ध हुआ, उसके बाद सैन्य घटनाएं हुईं लेकिन 1975 के बाद, सीमा पर कभी भी युद्ध में मौत नहीं हुई, 1975 आखिरी बार था। 1988 में जब तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी चीन गए, तो भारत ने संबंधों को अधिक सामान्य बनाया। जयशंकर ने कहा कि 1993 और 1996 में भारत ने सीमा को स्थिर करने के लिए चीन के साथ दो समझौते किए, जो विवादित हैं, उन्हें लेकर बातचीत चल रही है।
उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि न तो भारत और न ही चीन LAC पर सेना एकत्र करेगा और यदि कोई भी पक्ष एक निश्चित संख्या से अधिक सैनिक लाता है, तो वह दूसरे पक्ष को सूचित करेगा। उन्होंने कहा, 2020 में जब भारत में सख्त COVID-19 लॉकडाउन चल रहा था तब हमने देखा कि बहुत बड़ी संख्या में चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा की ओर बढ़ रहे थे तो इन सबके बीच हमें भी जवाबी तैनाती करनी थी, जो हमने किया। विदेश मंत्री ने कहा कि तब से हम डिसइंगेज करने की कोशिश कर रहे हैं, हम इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं।