Edited By Yaspal,Updated: 27 May, 2018 08:56 PM
भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी आरएसएस कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित कर सकते हैं।
नेशनल डेस्कः भारत के पूर्व राष्ट्रपति और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे प्रणब मुखर्जी आरएसएस कार्यकर्ताओं की एक बैठक को संबोधित कर सकते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक इंदिरा गांधी युग के बाद खांटी कांग्रेसियों में शुमार रहे प्रणब मुखर्जी को RSS ने 7 जून को अंतिम वर्ष के स्वयंसेवकों की विदाई सम्मान समारोह के लिए पूर्व राष्ट्रपति को आमंत्रित किया है।
दो विपरीत विचारधार वाले संगठन हैं आरएसएस और कांग्रेस
इस दौरान कार्यक्रम में देशभर से 45 साल से कम उम्र के करीब 800 स्वयंसेवक मौजूद रहेंगे। बता दें कि कांग्रेस और आरएसएस दो विपरीत विचारधारा वाले संगठन रहे हैं। आरएसएस के मुख्यालय नागपुर में हर साल ऐसा कार्यक्रम होता आया है। इससे पहले इस कार्यक्रम का नाम ऑफिसर्स ट्रैनिंग था। लेकिन अब इसका नाम बदलकर संघ शिक्षा वर्ग कर दिया गया है। शिक्षा ग्रहण करने के बाद आरएसएस के स्वयंसेवक पूर्णकालिक प्रचारक बन सकते हैं। इसके बाद ये प्रचारक आजीवन देश में संघ की विचारधारा के साथ काम करते हैं।
बता दें कि जब प्रणब मुखर्जी रायसीना हिल्स में रहते थे, तब आरएसएस के प्रमुख मोहन भागवत एक बार उनसे मिलने पहुंचे थे। नागपुर के आरएसएस कार्यकर्ताओं ने कहा कि इसकी घोषणा उचित समय पर की जाएगी। हालांकि उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि पूर्व राष्ट्रपति को इसके लिए न्योता भेजा गया है। रक्षा मंत्री दो दिन पहले नागपुर के मुख्यालय में पहुंची थीं। यहां पर उन्होंने तीसरी साल के ट्रेनी स्वयंसेवकों को संबोधित किया था और आरएसएस के जनरल सेक्रेटरी भैय्या जी जोशी से मुलाकात की।
82 वर्षीय पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कांग्रेस की बड़ी शख्सियत रहे हैं। उनका जुड़ाव कांग्रेस के साथ सन् 1969 से रहा है। तब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें राज्यसभा में भेजने में मदद की थी और जल्द ही वह इंदिरा गांधी के विश्वास पात्रों की सूची में आ गए। इंदिरा की हत्या के बाद प्रणब अलग-थलग पड़ गए। एक वक्त तो उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी माना जाने लगा था। 1986 में उन्होंने राष्ट्रीय समाजवादी कांग्रेस पार्टी बनाई, लेकिन फिर वह कांग्रेस में शामिल हुए और पार्टी का विलय हो गया। 2012 तक वह कांग्रेस में वह संकटमोचन का काम करते रहे और 2012 से 2017 तक देश के राष्ट्रपति भी रहे।