H-1B Visa: अमेरिकी कॉलेजों में भारतीय छात्रों की संख्या में 50% भारी गिरावट, ट्रंप के सख्त वीज़ा नियम बने वजह

Edited By Updated: 05 Oct, 2025 07:26 PM

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हज़ारों भारतीय छात्रों का अमेरिका में पढ़ने का सपना धूमिल होता जा रहा है। जुलाई-अगस्त 2025 में भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या में पिछले साल की तुलना में करीब 50% की भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़े ताज़ा अमेरिकी आव्रजन रिपोर्ट में...

नेशनल डेस्क:  हज़ारों भारतीय छात्रों का अमेरिका में पढ़ने का सपना धूमिल होता जा रहा है। जुलाई-अगस्त 2025 में भारत से अमेरिका जाने वाले छात्रों की संख्या में पिछले साल की तुलना में करीब 50% की भारी गिरावट दर्ज की गई है। यह आंकड़े ताज़ा अमेरिकी आव्रजन रिपोर्ट में सामने आए हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यह गिरावट संयोग नहीं, बल्कि ट्रंप प्रशासन के कड़े वीज़ा नियमों और नई शर्तों का नतीजा है।

सख्त वीज़ा प्रक्रियाओं ने बढ़ाई कठिनाइयाँ
अमेरिका जाने वाले भारतीय छात्रों को अब कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है। वीज़ा साक्षात्कार का समय हफ्तों तक स्थगित किया गया, पृष्ठभूमि जाँच और सोशल मीडिया जांच बढ़ा दी गई, जिससे अनुमोदन प्रक्रिया धीमी हो गई। साथ ही, वीज़ा शुल्क और अमेरिकी कामकाजी वीज़ा H-1B की नई शर्तों ने भी स्थिति को और जटिल बना दिया है।

आगमन में तेज गिरावट
अमेरिकी अंतर्राष्ट्रीय व्यापार प्रशासन के अनुसार, इस साल अगस्त में भारत से आए छात्रों की संख्या 41,540 रही, जबकि पिछले साल यह 74,825 थी। जुलाई में भी लगभग 46.4% गिरावट दर्ज की गई। मार्च-मई 2025 में जारी वीज़ा संख्या भी कोविड-19 के बाद अपने सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई, जिसमें पिछले साल की तुलना में 27% की कमी देखी गई।

OPT और H-1B वीज़ा का महत्व
अंतर्राष्ट्रीय छात्र अमेरिका की ओर OPT (Optional Practical Training) और H-1B वीज़ा के कारण आकर्षित होते हैं। OPT छात्रों को स्नातक के बाद काम करने का अवसर देता है, जबकि H-1B दीर्घकालिक रोजगार का रास्ता खोलता है। सर्वेक्षण के अनुसार, आधे से अधिक छात्रों ने कहा कि अगर OPT या H-1B जैसी सुविधाएँ नहीं होतीं, तो वे अमेरिका का विकल्प नहीं चुनते।

अमेरिकी विश्वविद्यालयों पर असर
भारत, अमेरिका में विदेशी छात्रों का सबसे बड़ा स्रोत है। 2024 में भारतीय छात्रों ने कुल अंतरराष्ट्रीय नामांकन का 27% योगदान दिया। विश्वविद्यालय अपने बजट को संतुलित करने के लिए इस आमद पर निर्भर करते हैं। भारतीय छात्रों की संख्या में यह गिरावट विश्वविद्यालयों के लिए वित्तीय दबाव और छात्र विविधता में कमी का संकेत है।

वैश्विक शिक्षा मानचित्र बदल सकता है
कनाडा, ऑस्ट्रेलिया और यूके अब भारतीय छात्रों के लिए अधिक आकर्षक विकल्प बन रहे हैं। वहाँ पढ़ाई के बाद स्पष्ट रोजगार मार्ग और अनुकूल वीज़ा नीतियाँ हैं। अमेरिका में नियमों की सख्ती और अनिश्चितता के कारण कई छात्र इन देशों की ओर रुख कर रहे हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर नीति में बदलाव नहीं होता, तो यह गिरावट न केवल अमेरिकी विश्वविद्यालयों बल्कि उनके श्रम बाजार और वैश्विक शिक्षा मानचित्र पर भी लंबे समय तक असर डाल सकती है।

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