पिता के इस जज्बे को सलाम, सरकार को बदलने पडे नियम

Edited By ,Updated: 14 Jul, 2016 05:50 PM

hats off to the spirit of the father

अगर किसी दंपत्ति को बच्चा गोद लेना हो तो जाहिर सी बात है वह स्वस्थ बच्चे को ही गोद लेगा...

नई दिल्ली: अगर किसी दंपत्ति को बच्चा गोद लेना हो तो जाहिर सी बात है वह स्वस्थ बच्चे को ही गोद लेगा,लेकिन हम आपको ऐसी दुर्लभ घटना के बारे में बता रहे हैं जिसमे एक युवक ने एक ऐसे बच्चे को गोद लेने का निर्णय लिया जो कई बीमारियों से ग्रसित था। पुणे निवासी 28 वर्षीय आदित्य तिवारी की सबसे दिलचस्प बात यह है वह अभी अविवाहित हैं इसलिए उन्हें बच्चे को गोद लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। आदित्य पेशे से एक मल्टीनेशनल कंपनी में सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं। बिन्नी नाम के बच्चे को गोद लेने के लिए आदित्य को लगभग डेढ़ साल तक संघर्ष किया।
 
बिन्नी नाम के इस बच्चे का जन्म 16 मार्च 2014 को हुआ। दरअसल बिन्नी सेहत की कई स्थाई समस्याओं सहित डाउन सिंड्रोम से ग्रसित है। वह आंखों और दिल में छेद जैसी गंभीर समस्याओं से पीड़ित है। जिस कारण उसके अपने  मां-बाप ने उसे छोड़ दिया था। तब मिशनरीज ऑफ चैरिटी ने बिन्नी का पालन पोषण किया।
 
मिशनरीज ऑफ चैरिटी में जब आदित्य की नजर बिन्नी पर पड़ी उसी क्षण उन्होंने बिन्नी को गोद लेने का मन बना लिया था, उस समय बिन्नी महज 6 महीने का था। आदित्य इसके बाद बिन्नी को गोद लेने की सारी कोशिशों में लग गए। आदित्य बिन्नी के इलाज के लिए लगातार मदद भेजा करते थे।
 
बिन्नी को अगस्त 2014 में मिशनरीज के इंदौर से भोपाल कैम्पस में शिफ्ट किया गया। तब आदित्य ने इंदौर से भोपाल दर्जनों चक्कर लगाए। आदित्य ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री से लेकर कई सांसदों को अपनी इस इच्छा के बारे में बताया। कई चि_ियां लिखी, हजारों मेल किए, कई फोन भी किए, तब जाकर कई कड़े संघर्षों के बाद नए साल में उन्हें बिन्नी सौपा गया। जिसकी खुशी उन्होंने ट्विटर पर जाहिर की।
 
आदित्य ने बिन्नी का नया नाम अवनीश रखा है। इसी के साथ ही आदित्य देश के पहले ऐसे सिंगल पेरेंट बन गए हैं, जिन्होंने इतनी कम उम्र में बिन्नी जैसे स्पेशल चाइल्ड को गोद लिया है। आदित्य के बिन्नी को गोद लेने के निर्णय में डटे रहने, उनके कड़े संघर्ष का ही यह नतीजा है कि केन्द्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण को अपने नियमों में बदलाव करना पड़ा। जहां पहले गोद लेने की उम्र जेजे एक्ट और केंद्रीय दत्तक अभिकरण कारा की गाइड लाइन के तहत 30 साल की थी, अब उसमें पिछले साल अगस्त में परिवर्तन कर सिंगल पेरेंट की उम्र न्यूनतम 25 से 55 साल कर दी गई है।
 
नियम परिवर्तन के बाद भी अवनीश को गोद लेने की औपचारिकताओं के कारण एक वर्ष 5 महीने की देरी हुई। आखिरकार 1 जनवरी को आदित्य को बिन्नी की कस्टडी सौंप दी गई। आदित्य ने इसे अपनी बड़ी जीत बताया, उन्होंने कहा कि सिंगल पेरेंट होने के बावजूद अवनीश की परवरिश के लिए मैं डेढ़ साल से तैयार हूं। नियति ने नए साल का पहला दिन तय किया था। अब वह मेरी जिंदगी है। उसके चेहरे पर मुस्कान ही मेरा मकसद है।
 

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