उड़ीसा में 30 हजार से ज्यादा आदिवासी बच्चे- बच्चियों से मिले मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन

Edited By Pardeep,Updated: 28 Apr, 2023 09:51 PM

hemant soren met more than 30 thousand tribal boys and girls in odisha

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सभी की सोच से अलग कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के फाउंडर डॉ अच्युत सामंता जी ने हजारों गरीब और आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम किया है, उनका यह...

भुवनेश्वर/रांचीः झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि सभी की सोच से अलग कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के फाउंडर डॉ अच्युत सामंता जी ने हजारों गरीब और आदिवासी बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा देने का काम किया है, उनका यह प्रयास सराहनीय है। 

मुख्यमंत्री सोरेन ने आज उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर स्थित कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ़ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी और इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंस के समारोह में बच्चों को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे राज्य में भी सामंता जी आएं और झारखण्ड के नौनिहालों को मार्गदर्शन दें। यहां के आदिवासी बच्चों के लिए कैसे विकास की पटरी पर चलने का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। इस पर हम मिलकर कार्य करें। यहां आने वाली पीढ़ी बैठी है। अपना उज्जवल भविष्य पकड़ने के लिए। किसी भी समाज का विकास तभी संभव है। जब वह पढ़- लिखकर अपने परिवार और समाज तक शिक्षा का विस्तार कर सके। इसके लिए कार्य करना होगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा शिक्षा के क्षेत्र में हम कैसे बेहतर कर सकें। यह जानने और हजारों की संख्या में बैठे बच्चों से सीखने आज मैं यहां आया हूं। इसके साथ अच्छी चीजों को अपनाना चाहिए। आज संस्था के लिए कुछ तो मैं ला नहीं सका। लेकिन, मैं अपने एक माह का वेतन इस संस्थान को दूंगा। 

मुख्यमंत्री ने कहा आज यह मंच हमें बहुत कुछ सोचने पर विवश करता है। बड़ी मुश्किल से आदिवासी समाज से आने वाला एक आदिवासी राज्य के सिर्फ पद पर पहुंचता है। 2019 दिसंबर से राज्य के विकास के लिए कार्य करने का अवसर मिला। लेकिन कोरोना संक्रमण काल में विकास की गति को कुछ समय के लिए रोक दिया। इसके बाद जब जीवन सामान्य हुआ तो झारखण्ड के आदिवासी क्षेत्रों में काम करने का मौका मिला। कई चीजों को हम लोगों ने बड़ी तेजी से आगे बढ़ाया है। 

देश में झारखण्ड पहला राज्य है, जहां आदिवासी के बच्चों को विदेशों में उच्च शिक्षा के लिए शत प्रतिशत स्कॉलरशिप प्रदान किया जाता है। मन में तसल्ली होती है कि जो समाज स्कूल से शिक्षा पाने के लिए तरसता है। उसे विदेशों में उच्च शिक्षा मिल रही है। राज्य के बच्चों को प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी में आने वाले खर्च का वहन राज्य सरकार करेगी, इससे संबंधित कानून भी सरकार ने बनाया है। 

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