हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान का नाम पूर्व प्रधानमंत्री Dr. Manmohan Singh के नाम पर होगा

Edited By Updated: 09 Jan, 2025 05:00 PM

himachal pradesh public administration will be named manmohan singh

हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार, 9 जनवरी 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसमें राज्य के प्रसिद्ध संस्थान 'हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान' (HIPA) का नाम बदलकर इसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखने को मंजूरी दी गई।

नेशनल डेस्क: हिमाचल प्रदेश सरकार ने गुरुवार, 9 जनवरी 2025 को एक ऐतिहासिक निर्णय लिया, जिसमें राज्य के प्रसिद्ध संस्थान 'हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान' (HIPA) का नाम बदलकर इसे पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह के नाम पर रखने को मंजूरी दी गई। इस फैसले को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में शिमला में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में लिया गया।

डॉ. मनमोहन सिंह को इस सम्मान से नवाजने का निर्णय राज्य में उनके योगदान को सराहते हुए लिया गया है। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. सिंह का कार्यकाल भारतीय राजनीति में एक परिवर्तनकारी दौर के रूप में याद किया जाता है। उन्होंने न सिर्फ भारतीय अर्थव्यवस्था को संकट से बाहर निकाला, बल्कि वित्तीय सुधारों की मजबूत नींव भी रखी, जिसने भारतीय आर्थिक परिदृश्य को नया आकार दिया।

डॉ. मनमोहन सिंह का योगदान

हिमाचल प्रदेश के विकास में डॉ. मनमोहन सिंह का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। साल 1991 में जब भारत आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तब डॉ. सिंह ने केंद्रीय वित्त मंत्री के रूप में न केवल भारत को संकट से उबारा, बल्कि आर्थिक सुधारों का ऐतिहासिक दौर शुरू किया, जिसकी गूंज आज तक सुनाई देती है। ऐसे में, राज्य सरकार ने उनके योगदान को याद करते हुए 'हिमाचल प्रदेश लोक प्रशासन संस्थान' का नाम बदलने का निर्णय लिया है। यह कदम डॉ. सिंह के प्रति राज्य की कृतज्ञता और सम्मान को व्यक्त करता है।

नशीली दवाओं के खिलाफ मजबूत कदम

इसके अलावा, हिमाचल प्रदेश सरकार ने राज्य में नशीली दवाओं के दुरुपयोग से निपटने के लिए एक और बड़ा कदम उठाया है। मंत्रिमंडल ने राज्य में नशीली दवाओं की तस्करी और संगठित अपराधों के नेटवर्क को समाप्त करने के लिए एक विशेष कार्य बल (एसटीएफ) की स्थापना को मंजूरी दी। यह एसटीएफ न केवल नशीली दवाओं की तस्करी को रोकने में सहायक होगा, बल्कि इससे राज्य में अपराधों की रोकथाम भी होगी।

भारतीय स्टाम्प अधिनियम में संशोधन

इसके अलावा, मंत्रिमंडल ने भारतीय स्टाम्प अधिनियम, 1899 की अनुसूची 1ए में संशोधन करने के लिए एक अध्यादेश जारी करने का भी निर्णय लिया। इस संशोधन के तहत, हिमाचल प्रदेश काश्तकारी और भूमि सुधार अधिनियम, 1972 की धारा 118(2)(एच) के तहत सुरक्षित हस्तांतरण और पट्टे के लेन-देन पर राज्य सरकार की पूर्व मंजूरी के साथ 12% की एक समान स्टाम्प ड्यूटी दर लगाने की अनुमति मिलेगी। इससे राज्य के भूमि मामलों को पारदर्शी और सुगम बनाने में मदद मिलेगी।

राज्य सरकार का यह फैसला क्यों है महत्वपूर्ण?

हिमाचल प्रदेश में यह कदम न केवल एक ऐतिहासिक पहल है, बल्कि राज्य के नागरिकों के लिए एक संदेश भी है कि राज्य सरकार देश की प्रगति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले नेताओं के योगदान को कभी नहीं भूलती। डॉ. मनमोहन सिंह का नाम अब हिमाचल प्रदेश के लोक प्रशासन संस्थान से जुड़ा रहेगा, जो आने वाली पीढ़ियों को उनके योगदान की याद दिलाता रहेगा।

राज्य में नशीली दवाओं के खिलाफ कदम और भारतीय स्टाम्प अधिनियम में संशोधन जैसे फैसले राज्य की बढ़ती चुनौतियों के प्रति सरकार की सक्रियता को दर्शाते हैं। इससे न केवल राज्य में कानून-व्यवस्था में सुधार होगा, बल्कि इसका राज्य के विकास और सुधारों पर भी सकारात्मक असर पड़ेगा।

 

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