कांटों से सजा ताज पहनेंगे टर्नबुल

Edited By ,Updated: 11 Jul, 2016 04:56 PM

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विपक्षी लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टन के हार स्वीकार करते ही कंजर्वेटिव गठबंधन के मेल्कम टर्नबुल ने एक बार फिर जीत का परचम

विपक्षी लेबर पार्टी के नेता बिल शॉर्टन के हार स्वीकार करते ही कंजर्वेटिव गठबंधन के मेल्कम टर्नबुल ने एक बार फिर जीत का परचम लहरा दिया। सबसे पहले उन्होंने जनता का धन्यवाद किया और किए गए वायदों को पूरा करने का विश्वास दिलाया। बता दें ​कि टर्नबुल के सामने कई चुनौतियां भी खड़ी हैं। जनता ने उन्हें बड़े विश्वास के साथ वोट दिया है। उन्हें एक बार सत्ता सुख तो मिलेगा, लेकिन कांटों से सजा हुआ ताज भी पहनना होगा।  

लिबरल-नेशनल गठबंधन ने 150 सदस्यों वाली प्रतिनिधिसभा में 74 सीटें जीत ली हैं जबकि लेबर पार्टी को 66 सीटों पर संतोष करना पड़ा। पांच सीटों पर अब भी कांटे की टक्कर है और मतगणना का काम जारी है। फिलहाल  प्रतिनिधिसभा में बहुमत के लिए गठबंधन को 76 सीटें चाहिए। देख्रना यह है कि वह इस कमी को कैसे पूरा करती है। फिर गर्वनर जनरल के विदेश से आने के बाद टर्नबुल आधिकारिक रूप से शपथ लेंगे। 

जब मतगणना होती है तो स्थितियां उसी के लिहाज से बदलती रहती हैं। लेबर पार्टी पहले 69 सीटों पर आगे चल रही थी और सत्तारूढ़ लिबरल-नेशनल गठबंधन 64 सीटों पर। उसे समय निचले सदन की 150 सीटों में से कम से कम 11 सीटों पर संशय की स्थिति बनी हुई थी। तब यह दिख रहा था कि सरकार को हराने के लिए पर्याप्त संख्या नहीं है, लेकिन यह भी देखा जा रहा था लेबर पार्टी ने सीटें जीती हैं। दोनों पार्टियों को अल्पमत सरकार बनाने के लिए जरूरी 76 सीटें हासिल करने के लिए निर्दलीय उम्मीदवारों का समर्थन जुटाना। दिलचस्प बात यह रही किलेबर पार्टी की उम्मीदवार लिंडा बर्नी निचले सदन के लिए निर्वाचित होने वाली पहली ऑस्ट्रेलिया मूल की महिला बन गई हैं।

इस चुनाव में कुल 57 राजनीतिक और निर्दलीय समूहों ने हिस्सा लिया था। इनमें निचले सदन के लिए 994 से अधिक उम्मीदवार उतारे और 76 सदस्यीय सीनेट के लिए 661 उम्मीदवार उतारे थे। अगली सरकार को समर्थन देने के लिए सीनेट महत्वपूर्ण है। इस वर्ष 9 मई को भंग किए जाने के बाद सीनेट नए सिरे से गठित हो रही है। आॅस्ट्रेलिया में इस बार एक करोड़ से अधिक मतदाताओं ने अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया। इससे पूर्व के चरण में 40 लाख के करीब मतदाताओं ने मतदान किया था।

इस चुनाव में ऑस्ट्रेलिया के निचले सदन ‘हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव’ की सभी 150 सीटों और ऊपरी सदन ‘सीनेट’ की सभी 76 सीटों पर चुनाव हो रहे हैं। निचले सदन के लिए चुनाव में लगभग 25 प्रतिशत आस्ट्रेलियाई मतदाताओं ने मुख्य पार्टियों से बाहर के उम्मीदवार को वोट दिया है। कई दशकों में यह पहली बार है, जब एक ही चुनाव में दोनों सदनों की सभी सीटों के लिए फैसला किया जाएगा।

एक समय ऐसा भी आया था जब यह पाया गया कि प्रधानमंत्री के तौर पर मैल्कम टर्नबुल की लोकप्रियता घटकर सबसे निचले स्तर पर पहुंच गई है। नवीनतम जनमत सर्वेक्षण में यह खुलासा हुआ था। सर्वेक्षण के मुताबिक, सितम्बर 2015 में टर्नबुल के सत्ता में आने के बाद से प्रधानमंत्री के प्रति लोगों की असंतुष्टि उच्चतम स्तर पर पहुंच गई थी।

ऑस्ट्रेलिया में संघीय चुनाव से कुछ ही महीने पहले किए गए चुनाव सर्वेक्षण के मुताबिक गठबंधन सरकार और विपक्ष, दोनों के ही जीतने की संभावना 50-50 फीसदी थी। टर्नबुल की लोकप्रियता सबसे निचले स्तर तक पहुंचने के साथ विपक्ष के नेता बिल शॉर्टन की लोकप्रियता बढ़ रही है। यही कारण है कि दोनों गुटों में हार और जीत का अंतर कुछ ज्यादा नहीं है।

पिछली बार टर्नबुल के सत्ता में आने के बाद पहले चुनाव सर्वेक्षण के बाद से यह गिरावट 16 अंकों की रही। हैरानी की बात है कि घटती लोकप्रियता के बावजूद टर्नबुल अब भी प्रधानमंत्री के रूप में पहली पसंद रहे। शॉर्टन से वह 55-21 की बढ़त पर हैं। तब शॉटर्न ने पूरे आत्मविश्वास के साथ कहा था कि मतदाताओं के बीच उनकी लोकप्रियता और बढ़ेगी। 

कुल मिलाकर मैल्कम टर्नबुल के लिए चुनौतियां कम नहीं हैं। मध्यम वर्ग के लिए इनकम टैक्स में कटौती, जलवायु परिवर्तन के लिए ग्रीन हाउस की गैसों के उत्सर्जन को कम करना, मकानों की बढ़ती कीमत, गे मैरिज, बड़ी संख्या में तेजी से आ रहे शरणार्थियों को शरण देना, पूंजीगत लाभ पर करों में कटौती आदि कई चुनौतियों को भी गठबंधन सरकार को निपटना होगा।

 

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