हेल्थ सेक्टर में भारत बने नंबर बन, मांडविया ने डॉक्टरों से पीएम मोदी का सपना साकार करने को कहा

Edited By rajesh kumar,Updated: 10 Oct, 2021 07:45 PM

india becomes number one in health sector

केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने चिकित्सा में स्नातक करने वाले नए छात्रों से रविवार को देश को समृद्ध बनाने और नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को...

नेशनल डेस्क: केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री मनसुख मांडविया ने चिकित्सा में स्नातक करने वाले नए छात्रों से रविवार को देश को समृद्ध बनाने और नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सुविधा मुहैया कराने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सपने को साकार करने में मदद करने को कहा। राष्ट्रीय मानसिक जांच एवं तंत्रिका विज्ञान संस्थान (निमहांस) के 25वें दीक्षांत समारोह में दिए संबोधन में मांडविया ने कहा कि डॉक्टरों को उनकी शिक्षा में समय और पैसा खर्च करने के लिए अपने माता-पिता तथा शिक्षकों का आभार व्यक्त करना चाहिए।

उन्होंने कहा, ‘‘आपके प्रोफेसर अपनी चिकित्सा प्रैक्टिस से करोड़ों रुपये कमा सकते थे, लेकिन उन्होंने आपमें अपना वक्त लगाना चुना, ताकि आप समाज में योगदान दे सकें। आपको उनका ऋणी होना चाहिए।'' केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मोदी ने ‘आत्मनिर्भर भारत' का सपना देखा है, जिसका मतलब है कि स्वास्थ्य समेत हर क्षेत्र में भारत का विकास। उन्होंने कहा, ‘‘नरेन्द्र मोदी भारत के स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य को नंबर एक पर देखना चाहते हैं। वह देश को समृद्ध देखना चाहते हैं। उनके सपने को साकार करने में आपकी भूमिका है, अत: आपके पास ‘राष्ट्र प्रथम' की दृष्टि होनी चाहिए।''

इस संदर्भ में उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कोरोना वायरस से निपटते हुए देश के डॉक्टरों में भरोसा जताया है। मांडविया ने कहा, ‘‘मोदी ने ताली और थाली बजाने का आह्वान कोविड-19 को खत्म करने के लिए नहीं किया था, बल्कि देश के डॉक्टरों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए किया था। यह आपमें भरोसा जताने का एक तरीका था।' उन्होंने कोविड-19 के खिलाफ चल रहे टीकाकरण अभियान की सफलता का श्रेय डॉक्टरों को दिया। साथ ही उन्होंने देश में आत्महत्या के बढ़ते मामलों पर भी चिंता जतायी। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने कहा कि हर साल औसतन 1.36 लाख लोग आत्महत्या करते हैं।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि एमबीबीएस स्नातकों को यह नहीं सोचना चाहिए कि वे अपना पाठ्यक्रम पूरा कर आजाद हो गए हैं, क्योंकि ‘‘आजादी के साथ जिम्मेदारी आती है।'' उन्होंने इस पर भी जोर दिया कि निमहांस को गांवों तक पहुंच बनानी चाहिए और वहां मानसिक स्वास्थ्य की समस्या से निपटना चाहिए। उन्होंने निमहांस प्राधिकारियों से महिलाओं के बीच तनाव का अध्ययन करने के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम शुरू करने का भी अनुरोध किया।

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