NSA डोभाल बोले- आतंकवाद व अलगाववाद का शिकार रहे हैं भारत और इंडोनेशिया...सीमापार से आज भी खतरा

Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Nov, 2022 01:14 PM

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने मंगलवार को भारत और इंडोनेशिया के बीच शांति और सामाजिक सद्भाव की संस्कृति को बढ़ावा देने में उलेमा की भूमिका की सराहना की।

नेशनल डेस्क: इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी एवं सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्री मोहम्मद महफूद  भारत यात्रा पर हैं। उनके साथ 24 सदस्यीय एक शिष्टमंडल भी भारत आया है जिसमें उलेमाओं के अलावा अन्य धार्मिक नेता भी शामिल हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल ने मंगलवार को भारत और इंडोनेशिया के बीच शांति और सामाजिक सद्भाव की संस्कृति को बढ़ावा देने में उलेमा की भूमिका की सराहना की।

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राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने दिल्ली के इस्लामिक कल्चरल सेंटर में आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि दोनों देश (भारत और इंडोनेशिया) आतंकवाद और अलगाववाद के शिकार रहे हैं। हालांकि, हमने चुनौतियों पर काफी हद तक काबू पा लिया है, लेकिन सीमापार आतंकवाद और आईएसआईएस प्रयोजित आतंकवाद आज भी एक खतरा बना हुआ है।

 

मजबूत हो रहे भारत-इंडोनेशिया के संबंध

NSA डोभाल ने कहा कि दोनों देश आतंकवाद व अलगाववाद से पीड़ित रहे हैं। हालांकि काफी हद तक हमने चुनौतियों पर जीत हासिल कर ली है लेकिन सीमा पार आतंकवाद और ISIS से प्रेरित आतंकवाद की प्रक्रिया लगातार जोखिम बना हुआ है। साथ ही डोभाल ने इंडोनेशिया में आए भूकंप के कारण हुए जानमाल के नुकसान पर दुख व्यक्त किया।  उन्होंने कहा कि इंडोनेशिया में हाल ही में आए भूकंप से जान-माल के नुकसान से हम सभी को बहुत दुख हुआ है। दुख की इस घड़ी में भारत इंडोनेशिया के साथ खड़ा है।' डोभाल ने भूकंप के कारण घायल हुए लोगों के लिए शीघ्र स्वस्थ होने की कामना की। NSA ने दोनों देशों के बीच रक्षा व आर्थिक संबंध में प्रगति की बात कही और   कहा कि हम अच्छे पड़ोसी हैं।

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बता दें कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल के निमंत्रण पर इंडोनेशिया के राजनीतिक, कानूनी और सुरक्षा मामलों के समन्वय मंत्री डॉ मोहम्मद महफूद सोमवार को भारत के दौरे पर आए हैं। डोभाल 17 मार्च को दूसरी भारत-इंडोनेशिया सुरक्षा वार्ता में हिस्सा लेने इंडोनेशिया गए थे जहां उन्होंने महफूद को भारत आने का न्यौता दिया था। महफूद ने उस समय प्रस्ताव किया था कि वे विभिन्न धर्मों के धार्मिक नेताओं को शिष्टमंडल में लाना चाहते हैं ताकि वे अपने भारतीय समकक्ष के साथ दोनों देशों में अंतर्धार्मिक सद्भाव एवं सामाजिक सौहार्द को बढ़ावा देने में उलेमाओं की भूमिका पर चर्चा कर सकें।

 

सूत्रों ने बताया कि यह शिष्टमंडल विदेश मंत्री एस जयशंकर से भी मिलेगा। इनकी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की संभावना पर भी विचार किया जा रहा है। दोनों शिष्टमंडल के बीच चर्चा के संदर्भ में तीन सत्रों होंगे। पहले सत्र में इस्लाम में निरंतरता और परिवर्तन पर चर्चा होगी। वहीं, दूसरे में अंतर-धार्मिक समाज के सामंजस्य पर तथा तीसरे और अंतिम सत्र में भारत और इंडोनेशिया में कट्टरता से मुकाबला करने के उपायों पर चर्चा होगी। सूत्रों ने बताया कि इंडोनेशिया दुनिया में सबसे अधिक मुस्लिम आबादी वाला देश है और भारत के साथ उसके रिश्ते काफी अच्छे हैं। ऐसे में भारत में यात्रा के दौरान वहां के शिष्टमंडल का कट्टरपंथ और चरमपंथ से मुकाबला करने के विषय पर चर्चा करना महत्वपूर्ण है।

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