Edited By Yaspal,Updated: 21 Jul, 2020 07:00 PM
भारत और चीन की लड़ाई के बाद अब लगभग सभी सेक्टर्स से चीनी सामानों को बॉयकॉट किया जा रहा है। एक खबर के मुताबिक, “पिछले दिनों भारत की इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री ने चीनी कंपनियों के ऑर्डर को बड़े लेवल पर रद्द करना शुरू कर दिया...
नई दिल्लीः भारत और चीन की लड़ाई के बाद अब लगभग सभी सेक्टर्स से चीनी सामानों को बॉयकॉट किया जा रहा है। एक खबर के मुताबिक, “पिछले दिनों भारत की इलेक्ट्रिकल इक्विपमेंट और इलेक्ट्रॉनिक्स इंडस्ट्री ने चीनी कंपनियों के ऑर्डर को बड़े लेवल पर रद्द करना शुरू कर दिया है। अब इन ऑर्डर के लिए नए ठिकानों की तलाश शुरू कर दी है। ये कंपनियां मुख्य रूप से पावर डिस्ट्रिब्यूशन और ट्रांसमिशन गियर के ऑर्डर कैंसिल कर रही हैं और दूसरे देशों से अधिक कीमत होने के बावजूद ये सारे सामान मंगा रही हैं।
इसकी शुरुआत मई से हुई है जब से पीएम मोदी ने वोकल फॉर लोकल का आह्वान किया है। इस महीने पावर गियर के आयात पर लगे तमाम प्रतिबंधों के चलते इस मुहिम को और बल मिला है, लेकिन इंडस्ट्री ये भी सुनिश्चित करना चाहती है कि इसकी वजह से सप्लाई ना रुके।
चीन से ही मंगाया जाता है सामान
इंडियन इलेक्ट्रिकल एंड इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन (IEEMA) के प्रेसिडेंट आरके चुघ ने TOI को बताया कि अब तक इंडस्ट्री में कच्चा माल, असेंबली का सामान और काफी सारा बना बनाया सामान भी चीन से ही मंगाया जाता था। IEEMA के डायरेक्टर जनरल सुनील मिश्रा ने कहा कि इंडस्ट्री अब विकल्प की तलाश कर रही है, ताकि चीन से सामान की सप्लाई को रोका जा सके।
जब तक हम पूरी तरह से आत्मनिर्भर नहीं हो जाते, तब तक इन सामान के लिए भरोसेमंद और दोस्ताना रवैये वाले देशों जैसे जापान, ताइवान, कोरिया और जर्मनी की ओर शिफ्ट हुआ जा सकता है। सॉफ्टवेयर का आयात यूरोप से किया जा सकता है और तमाम कच्चे माल के लिए रूस, चेक रिपब्लिक या पोलैंड का रुख किया जा सकता है। हमारे सदस्यों ने मांग के लिए अन्य देशों का रुख करना भी शुरू कर दिया है।