भारतीय सेना ने सियाचिन ग्लेशियर में  40 साल किए पूरे, ‘ऑपरेशन मेघदूत' में वायु सेना का योगदान किया याद

Edited By Tanuja,Updated: 14 Apr, 2024 01:02 PM

indian army 40 years of presence in siachen glacier

भारतीय सेना ने 13 अप्रैल को सियाचिन ग्लेशियर में  40 साल  पूरे होने पर  ‘ऑपरेशन मेघदूत' में वायु सेना के योगदान को याद  किया । भारी...

इंटरनेशनल डेस्कः भारतीय सेना ने 13 अप्रैल को सियाचिन ग्लेशियर में  40 साल  पूरे होने पर  ‘ऑपरेशन मेघदूत' में वायु सेना के योगदान को याद  किया । भारी सामानों को उठाने में सक्षम हेलीकॉप्टरों और ड्रोनों का उपयोग, सभी सतहों के लिए अनुकूल वाहनों की तैनाती, मार्गों का विशाल नेटवर्क बिछाया जाना उन कई कदमों में शामिल हैं जिन्होंने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में भारत की सैन्य कौशल बढ़ाया है। अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि सामरिक रूप से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर में भारतीय सेना ने अपनी मौजूदगी के 40 साल पूरे किए हैं और पिछले कुछ वर्षों में बुनयादी ढांचा बढ़ने से उसकी अभियानगत क्षमता में काफी सुधार आया है।

 

कराकोरम पर्वत शृंखला में करीब 20,000 फुट की ऊंचाई पर स्थित सियाचिन ग्लेशियर दुनिया में सबसे ऊंचे सैन्यीकृत क्षेत्र के रूप में जाना जाता है जहां सैनिकों को बर्फीली और सर्द हवा से जूझना पड़ता है। भारतीय सेना ने अपने ‘ऑपरेशन मेघदूत' के तहत 13 अप्रैल, 1984 में इस ग्लेशियर पर अपना पूर्ण नियंत्रण कायम किया था। एक अधिकारी ने कहा, ‘‘सियाचिन ग्लेशियर पर भारतीय सेना का नियंत्रण न केवल अद्वितीय वीरता और दृढ़ संकल्प की गाथा है, बल्कि प्रौद्योगिकी उन्नति और साजो-सामान संबंधी सुधारों की एक असाधारण यात्रा भी है जिसने सबसे दुर्जेय इलाकों में से एक इस क्षेत्र को अदम्य जोश और नवोन्मेष के प्रतीक में बदल दिया।''

 

उन्होंने अपनी पहचान उजागर नहीं करने की शर्त पर कहा कि खासकर पिछले पांच सालों में उठाये गये कदमों ने सियाचिन में तैनात इन जवानों के जीवन स्तर और अभियानगत क्षमताओं में सुधार लाने में लंबी छलांग लगायी है। पिछले साल जनवरी में सेना के इंजीनियर कोर की कैप्टन शिवा चौहान को सियाचिन ग्लेशियर की अग्रिम चौकी पर तैनात किया गया था। एक अहम रणक्षेत्र में एक महिला सैन्य अधिकारी की यह ऐसी पहली अभियानगत तैनाती थी। अधिकारी ने कहा कि सियाचिन में गतिशीलता के क्षेत्र में उल्लेखनीय सुधार आया है।

 

भारतीय वायु सेना ने शनिवार को 40 साल पहले हुए ‘ऑपरेशन मेघदूत' में अपने योगदान को याद किया, जब उसके सामरिक और रणनीतिक ‘एयरलिफ्टर्स' और प्रमुख हेलीकॉप्टरों ने दुनिया के सबसे ऊंचे युद्धक्षेत्र सियाचिन में जवानों और सामग्रियों को पहुंचाया था। भारतीय सेना ने रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सियाचिन ग्लेशियर पर अपनी मौजूदगी के चार दशक पूरे किए हैं। अधिकारियों ने कहा कि भारतीय सेना ने 13 अप्रैल, 1984 को ‘ऑपरेशन मेघदूत' शुरू किया था जिसमें भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना उत्तरी लद्दाख क्षेत्र के ऊंचे क्षेत्रों को सुरक्षित करने के लिए सियाचिन ग्लेशियर तक पहुंची थीं। 

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