Edited By Parveen Kumar,Updated: 30 Mar, 2024 06:31 PM
भारत घरेलू कंप्यूटरों और स्मार्टफोन को स्वदेशी 'रुबिडियम परमाणु घड़ीं' के साथ जोड़ने के लिए तैयार है। जून में इसकी शुरुआत हो सकती है।
नेशनल डेस्क : भारत घरेलू कंप्यूटरों और स्मार्टफोन को स्वदेशी 'रुबिडियम परमाणु घड़ीं' के साथ जोड़ने के लिए तैयार है। जून में इसकी शुरुआत हो सकती है। फिलहाल इंटरनेट पर भारतीय सिस्टम अमरीका के नेटवर्क टाइम प्रोटोकॉल से जुड़े होते हैं। यही पूरे कंप्यूटर नेटवर्क पर समय निर्धारित करता है।
जल्द ही रुबिडियम परमाणु घड़ी हमारे कंप्यूटर और स्मार्टफोन पर समय निर्धारित करेगी। इसके साथ ही अमरीका, ब्रिटेन, जापान और दक्षिण कोरिया के बाद भारत दुनिया का पांचवां ऐसा देश बन जाएगा, जिसका कंप्यूटर नेटवर्क अपनी परमाणु घड़ी से चलेगा। स्वदेशी परमाणु घड़ी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने विकसिता की हैं। कारगिल युद्ध के दौरान, अमरीका ने भारत में जीपीएस पहुंच देने से इन्कार किया था, उसके बाद रूबिडियम परमाणु घड़ी बनाई गई।
सेकंड के अरबवें हिस्से तक की गणना
परमाणु घड़ी का आविष्कार 1955 में ब्रिटेन के भौतिक विज्ञानी लुईस एसेन ने किया था। परमाणु घड़ियों को आकलन के लिहाज से सबसे सटीक माना जाता है। इनमें सेकंड के अरबवें हिस्से तक की गणना की क्षमता होती है। हर उपग्रह में परमाणु घड़ी होती है, जो अलग-अलग ऑर्बिट में पॉजीशनिंग बताती है। तीन से ज्यादा उपग्रहों की परमाणु घड़ी खराब होने पर रिप्लेसमेंट उपग्रह लॉन्च करना पड़ता है।