कर्नाटक चुनाव: दोस्त के हाथों ही सिद्धरमैया को मिली मात

Edited By Anil dev,Updated: 16 May, 2018 10:54 AM

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चुनावी सर्वेक्षणों में प्रदेश में सबसे लोकप्रिय नेता बताए जाते रहे निवर्तमान कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया इस बार दो सीटों बादामी तथा चामुंडेश्वरी से चुनाव लड़ रहे थे। बादामी में उन्हें भाजपा प्रत्याशी बी श्रीरामुलु से 1696 मत अधिक हासिल हुए। इस...

नई दिल्ली: चुनावी सर्वेक्षणों में प्रदेश में सबसे लोकप्रिय नेता बताए जाते रहे निवर्तमान कांग्रेसी मुख्यमंत्री सिद्धरमैया इस बार दो सीटों बादामी तथा चामुंडेश्वरी से चुनाव लड़ रहे थे। बादामी में उन्हें भाजपा प्रत्याशी बी श्रीरामुलु से 1696 मत अधिक हासिल हुए। इस तरह मुश्किल से वे जीत पाए। वहीं चामुंडेश्वरी में सिद्धरमैया को अपने ही एक पुराने दोस्त जेडीएस प्रत्याशी जीटी देवगौड़ा से करारी हार मिली। इस सीट पर वे 36,042 मतों से पराजित हुए। चामुंडेश्वरी सीट पर सरकारी खुफिया एजैंसियों ने भी आशंका जताई थी कि मुख्यमंत्री सिद्धरमैया के लिए इस बार जीत आसान नहीं होगी। संभवत: इसीलिए उन्होंने दो स्थानों पर चुनाव लडऩे का फैसला लिया था। सिद्धरमैया को हराने वाले जीटी देवगौड़ा भी राजनीति के पुराने खिलाड़ी हैं और जेडीएस के मैसूर क्षेत्र के बड़े नेता हैं।

तीन बार विधायक रह चुके हैं देवगौड़ा और चामुंडेश्वरी
देवगौड़ा हंसूर और चामुंडेश्वरी से तीन बार विधायक रह चुके हैं। एचडी कुमारास्वामी की सरकार में वो मंत्री भी रह चुके हैं।जीटी देवगौड़ा ने 1970 में कृषि को-ऑपरेटिव सोसायटी के चुनाव से अपना राजनीतिक सफर शुरू किया था। 1978 में देवगौड़ा कांग्रेस के उम्मीदवार के रूप में वे विधानसभा चुनाव में उतरे। उस समय कांग्रेस और कांग्रेस (आई) में लड़ाई थी। इसके बाद जीटी देवगौड़ा कांग्रेस छोड़कर जनता पार्टी में शामिल हो गए। 1983 के विधानसभा चुनाव के दौरान उनकी सिद्धरमैया से दोस्ती हुई और यह सफर करीब 20 साल तक चला। 2004 में जीटी देवगौड़ा पहली बार हंसूर से विधायक बने। इसी साल वे लोकसभा चुनाव भी लड़े लेकिन कड़े मुकाबले में पराजित हो गये। सिद्धरमैया से विवाद होने के बाद केजीटी देवगौड़ा की दोस्ती में दरार आ गई और वे 2007 में बीजेपी में शामिल हो गए। 2013 में वे फिर से जेडीएस में शामिल हो गए और चामुंडेश्वरी सीट से करीब 9000 वोटों से जीत दर्ज की। 

पहले भी सिद्धरमैया को करना पड़ा था हार का सामना
चामुंडेश्वरी सीट से सिद्धरमैया पहली बार चुनाव नहीं हारे हैं। 1983 में वे यहां निर्दलीय जीते थे। 1985 और 1989 के चुनाव में चामुंडेश्वरी से सिद्धरमैया को हार का सामना करना पड़ा था। 1994 में वे जनता दल के टिकट पर विधायक बने। 1999 में जेडीएस का निर्माण हुआ और सिद्धरमैया जेडीएस के टिकट पर चुनाव लड़े लेकिन हार गए। जेडीएस के टिकट पर ही सिद्धरमैया 2004 में फिर से चामुंडेश्वरी से विधायक बने और राज्य के डिप्टी सीएम बने। 2004 में परिसीमन की वजह से सिद्धरमैया का वोटर बेस बादामी सीट में चला गया। इस दौरान जेडीएस नेतृत्व से मतभेद के चलते सिद्धरमैया कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस में रहते हुए सिद्धरमैया 2008 और 2013 में बादामी सीट से विधायक चुने गए। 
 

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