Edited By vasudha,Updated: 05 Dec, 2018 06:39 PM
तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की आज दूसरी पुण्यतिथि है। अन्नाद्रमुक के प्रमुख नेताओं ओ पनीरसेल्वम और के पलानीस्वामी समेत पार्टी के अन्य नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। जयललिता का पांच दिसंबर, 2016 को दिल का दौरा पडऩे से...
नेशनल डेस्क: तमिलनाडु की दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता की आज दूसरी पुण्यतिथि है। अन्नाद्रमुक के प्रमुख नेताओं ओ पनीरसेल्वम और के पलानीस्वामी समेत पार्टी के अन्य नेताओं तथा कार्यकर्ताओं ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। जयललिता का पांच दिसंबर, 2016 को दिल का दौरा पडऩे से निधन हो गया था। उन्हें मरीना बीच पर दफनाया गया था। आज हम आपको जयललिता की जिंदगी से जुड़ी 10 ऐसी बातें बताने जा रहे हैं जिससे आप अनजान हो।
1. 24 फरवरी 1948 को मैसूर के मांडया जिले के मेलुरकोट गांव में पैदा हुई थी जयललिता। महज दो साल की उम्र में उनके पिता की मृत्यु हो गई थी।
2. पिता की मृत्यु के बाद से ही उनकी जिंदगी में संघर्ष का दौर शुरू हो गया। उनकी मां वेदवल्ली ने संध्या नाम से तमिल फिल्मों में काम करना शुरू कर दिया।
3. जयललिता वकालत करना चाहती थी लेकिन उनकी मां ने उन्हें फिल्मों में काम करने के लिए मजबूर किया।
4. अमूमन दक्षिण भारतीय महिलाएं सांवली होती हैं लेकिन जयललिता बचपन से ही गोरी थीं।
5.दक्षिण भारत में खासकर तमिलनाडु के लोगों के बीच भगवान की तरह पूजी जाने वाली जयललिता एक वक्त तमिल फिल्म इंडस्ट्री की सुपर स्टार थीं। उन्होंने उस जमाने के बॉलीवुड सुपरस्टार धर्मेंद्र के साथ इज्जत नाम की फिल्म में काम किया था। यह फिल्म साल 1968 में आई थी।
6. जयललिता ने न सिर्फ अभिनय किया बल्कि खासतौर पर नृत्य करना भी सीखा। आपको जानकर हैरानी होगी की उन्होंने भरतनाट्यम, मोहिनीहट्टम, मनीपूरी और कथ्थक जैसे डांस फॉर्म पर पकड़ थी। इतना ही नहीं उन्होंने शास्त्रिय संगीत भी सीखा था।
7. जयललिता की पहली फिल्म एडल्ट करार दी गई। दुर्भाग्य देखिए कि वह अपनी पहली फिल्म को थिएटर में नहीं देख सकीं क्योंकि उस वक्त उनकी उम्र 18 साल से कम थी।
8. फिल्मों में रहते हुए जयललिता को शादी-शुदा अभिनेता सोहन बाबू से प्यार हो गया,लेकिन इन दोनों की शादी नहीं हो सकी।
9.एमजीआर से जयललिता की काफी नजदीकी थी। जब एम जी रामचंद्रन राजनीति में आए तो उन्हे भी साथ लाए।
10. 1982 में उन्होंने अन्नाद्रमुक की सदस्यता ग्रहण की और 1983 में प्रचार प्रमुख बन गईं। इसके बाद वो राजनीति की सीढिय़ां चढ़ती गई।