Edited By Niyati Bhandari,Updated: 14 Jul, 2018 09:35 AM
श्री जगन्नाथ रथयात्रा शनिवार, 14 जुलाई को पुरी के मंदिर से निकलेगी, जिसकी तैयारियां पुरी के अतिरिक्त देश भर के अन्य नगरों में भी पूरी हो चुकी हैं। स्कन्दपुराण के अनुसार पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ जी के तीन रथ बड़े ही सुन्दर एवं मनमोहक ढंग से सजाए...
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श्री जगन्नाथ रथयात्रा शनिवार, 14 जुलाई को पुरी के मंदिर से निकलेगी, जिसकी तैयारियां पुरी के अतिरिक्त देश भर के अन्य नगरों में भी पूरी हो चुकी हैं। स्कन्दपुराण के अनुसार पुरी में भगवान श्री जगन्नाथ जी के तीन रथ बड़े ही सुन्दर एवं मनमोहक ढंग से सजाए जाते हैं। जबकि विभिन्न नगरों से निकलने वाली रथयात्रा में एक ही रथ में तीनों श्रीविग्रह स्थापित किए जाते हैं। भगवान श्री जगन्नाथ जिस रथ पर विराजमान होते हैं, वह साढ़े 45 फुट ऊंचा होता है। उसे नंदीघोष, कपिलध्वज अथवा गरुडध्वज कहते हैं। श्री बलराम जी के रथ को तालध्वज तथा सुभद्रा जी के रथ को देवदलन कहा जाता है। इन तीनों रथों को लाल व हरीधारी वाले रेशमीं कपड़े से सजाया जाता है।
रथयात्रा से पूर्व भगवान को विधि विधान से शाही स्नान करवाया जाता है, फिर मूर्तियों को पवित्र रंगों से रंग कर उनका अदभुत श्रृंगार किया जाता है। भगवान श्री जगन्नाथ जी का श्रृंगार पीले एवं लाल चित्रकारी किए सुन्दर वस्त्रों से किया जाता है, बलदेव जी को गहरे नीले और सुभद्रा जी को पीले रंग के रेशमी वस्त्रों से सजाकर उनका सुन्दर श्रृंगार करने की परम्परा है। भक्तजन- जै जगन्नाथ, जै बलराम और जै सुभद्रा के जैकारे लगाकर बड़े ही भावुक होकर नाचते हैं। भक्ति एवं उल्लास का अनूठा संगम भगवान श्री जगन्नाथ जी के रथयात्रा महोत्सव में ही देखने को मिलता हैं। भक्तजन प्रभु को देखकर जयघोष बुलाते हुए इतने भावुक हो जाते हैं कि उनके नेत्रों से अश्रुधारा बहने लगती है।
रथयात्रा में सबसे आगे के तालध्वज रथ पर बलभद्र जी, दूसरे पदमध्वज रथ पर सुभद्रा जी तथा तीसरे नंदीघोष रथ पर भगवान श्री जगन्नाथ जी की सवारी निकलती है। भक्तजन इन रथों को रस्सों को खींचकर चलाते हैं तथा पुरी के प्रधान मंदिर से 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित गुण्डिचा मंदिर तक लेकर जाते हैं जहां अगले 7 दिन तक भगवान वहीं विश्राम करेंगे। इसी कारण इन नौं दिनों तक मुख्य मंदिर में भगवान की कोई मूर्ति नहीं होती। इस महोत्सव के समय भगवान श्री जगन्नाथ जी के दर्शन को आड़प दर्शन कहते हैं। इसका अनेक पुराणों में बड़ा महात्मय बताया गया है। नौवें दिन भगवान श्री जगन्नाथ जी को मुख्य मंदिर में लाकर स्थापित किया जाएगा। रथयात्रा के सारे मार्ग को साफ करके बड़े ही सुन्दर आकर्षक एवं सुगंधित फूलों से सजाया जाता है।
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वीना जोशी
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