Edited By Seema Sharma,Updated: 14 Jan, 2021 03:35 PM
लादिश (Ladishah)एक पुरुष प्रधान शैली थी लेकिन अब कश्मीर की एक लड़की आगे आ रही है जो एक बड़ी बात है। लोग इस बात की भी सराहना कर रहे हैं कि लड़कियां अब लादिश को अपनाने के लिए आगे आ रही हैं। कश्मीर की 25 साल की सैयद अरीज़ सफवी पहली लादिश बनी है। बता...
नेशनल डेस्क: लादिश (Ladishah)एक पुरुष प्रधान शैली थी लेकिन अब कश्मीर की एक लड़की आगे आ रही है जो एक बड़ी बात है। लोग इस बात की भी सराहना कर रहे हैं कि लड़कियां अब लादिश को अपनाने के लिए आगे आ रही हैं। कश्मीर की 25 साल की सैयद अरीज़ सफवी पहली लादिश बनी है। बता दें कि लादिश कश्मीर की लोक शैली का एक रूप है। अब तक इस पर सिर्फ पुरुषों का वर्चस्व था। सैयद अरीज सफवी भी अब लादिश को लिखने और प्रदर्शन करने में व्यंग्य करती हैं। यह एक प्रकार का लोक गीत है जिसमें हास्य के जरिए अपनी प्रस्तुति दी जाती है। इस लोक गीत के जरिए सामाजिक और राजनीतिक परिस्थितियों पर टिप्पणी की जाती है।
सफवी हर रविवार को उर्दू टीवी समाचार चैनल पर लादिश प्रसारित किया, जिसे कश्मीरी पत्रकार राजेश रैना ने लिखा और राजेंद्र टिक्कू ने प्रस्तुत किया। लेकिन अब वह खुद लादिश लिखती है और इसे प्रसतुत करती है। लादिश लिखने के अपने सफर पर सफवी ने कहा कि दिल्ली में रहकर अपने लादिश के सभी लेख लिखे हैं, लेकिन इसमें कहानियां कश्मीर की हैं। सफवी ने कहा कि भले ही वह दिल्ली में रहती है लेकिन उनका दिल कश्मीर में है। सफवी ने कहा कि कश्मीर में क्या हो रहा है, मैं हमेशा इसको लेकर अपडेट रहती हूं।
सफवी ने कहा कि उसे लादिश सुनना काफी पंसद था और उनके फेवरेट राजेंद्र टिकू रहे हैं। सफवी ने कहा कि उन्होंने सबसे पहला लादिश साल 2019 में उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती के खिलाफ लिखा था। पहले लादिश को पारंपरिक रूप से खुले मंच पर, पारंपरिक पोशाक पहने और हाथों से एक वाद्य यंत्र बजाते हुए खेला जाता था। इसके बाद यह थिएटर और फिर टीवी और रेडियो के प्लेटफार्मों का उपयोग किया जाने लगा।