Edited By Punjab Kesari,Updated: 22 Oct, 2017 12:23 AM
प्रधानमंत्री मोदी ने संभवत: राष्ट्र के बदल रहे मूड को महसूस किया है और अब उनका ग्राफ गिरता दिख रहा है। उन्होंने जी.एस.टी. पर अपने कड़े रुख को पहले ही नरम कर दिया है और इसमें कई संशोधन किए हैं। उनको जिस बात ने सबसे अधिक परेशान किया है वह है गुरदासपुर...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री मोदी ने संभवत: राष्ट्र के बदल रहे मूड को महसूस किया है और अब उनका ग्राफ गिरता दिख रहा है। उन्होंने जी.एस.टी. पर अपने कड़े रुख को पहले ही नरम कर दिया है और इसमें कई संशोधन किए हैं। उनको जिस बात ने सबसे अधिक परेशान किया है वह है गुरदासपुर लोकसभा उपचुनाव में कांग्रेस उम्मीदवार की भारी मतों से जीत।
कांग्रेस के सुनील जाखड़ 1.90 लाख से अधिक मतों से जीते। यहां तक कि स्व. विनोद खन्ना भी इस स्तर पर नहीं पहुंच पाए थे जबकि वाजपेयी और मोदी लहर चरम सीमा पर थी। भाजपा के उम्मीदवार की जीत एक गंभीर चुनौती थी इसलिए चुनाव अभियान में कोई वरिष्ठ नेता नहीं गया मगर जीत के अंतर ने मोदी, शाह, जेतली की टीम को हिला कर रख दिया है। अब मोदी ने अपने वरिष्ठ मंत्रियों को बता दिया है कि वे नियमित रूप से सांसदों की शिकायतों को सुनें और बार-बार उनसे मुलाकात करें। वे दिन बीत गए जब मोदी पार्टी सांसदों का मजाक उड़ाया करते थे और कहा करते थे कि वे काम नहीं करते, संसद की कार्रवाई में हिस्सा नहीं लेते, अपने निर्वाचन क्षेत्रों में नहीं जाते। यह धमकी दी जाती थी कि 2019 के लोकसभा चुनावों में कम से कम 30 से 40 प्रतिशत सांसदों के टिकट काटे जाएंगे क्योंकि वे इसके लिए फिट नहीं।
नाना पाटोले, शत्रुघ्न सिन्हा, कीॢत आजाद और बहुत से अन्य भाजपा सांसद सरकार की आलोचना कर रहे हैं। अमित शाह द्वारा एक सूक्ष्म ढंग से संदेश भेजा जा रहा है कि वे अपनी टिकटों के बारे ङ्क्षचता न करें। नवम्बर के मध्य में शुरू होने वाले संसद के शीतकालीन सत्र में पार्टी नेतृत्व के रवैये में काफी बदलाव देखने को मिल सकता है। वरुण गांधी पहले ही पार्टी से परे हट कर बात कर रहे हैं और किसी को इस बात का यकीन नहीं कि आगे क्या होगा? भाजपा के लिए हिमाचल विधानसभा के नहीं बल्कि गुजरात के चुनाव प्रमुख मुद्दा है।