Edited By Anil dev,Updated: 18 Nov, 2020 01:46 PM
बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिखते हुए नीतीश कुमार ने सोमवार को दो दशक में सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जैसे राजग के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में राजभवन में...
नेशनल डेस्क: बिहार की राजनीति में नया अध्याय लिखते हुए नीतीश कुमार ने सोमवार को दो दशक में सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जैसे राजग के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में राज्यपाल फागू चौहान ने कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इस शपथ समारोह में हैरान करने वाली बात यह रही कि कैबिनेट की इस बैठक में अल्पसंख्यक खासकर मुस्लिम समुदाय से कोई चेहरा नहीं होगा। बिहार के राजनीतिक इतिहास में ऐसा पहली बार है जब सरकार में किसी मुस्लिम चेहरे को जगह नहीं मिली है। आजादी के बाद से बिहार में जितनी भी सरकारें बनी हैं उनमें मुस्लिम चेहरे को जगह मिलती रही है।
चुनाव में एनडीए को मिली 125 सीटें
बिहार में इस बार के चुनाव में एनडीए को 125 सीटें मिली हैं, लेकिन इसमें एक भी मुस्लिम विधायक चुन कर नहीं आया है। एनडीए में चार घटक दलों ने मिलकर चुनाव लड़ा था। जेडीयू ने 11 मुसलमान उम्मीदवारों को चुनाव मैदान में उतारा था, जिनमें से कोई भी जीत हासिल नहीं कर सका। पिछली सरकार में अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री रहे जेडीयू के खुर्शीद उर्फ फिरोज भी इस चुनाव हार गए हैं। वहीं, बीजेपी के साथ साथ वीआईपी और हम पार्टी ने किसी मुसलमान उम्मीदवार को टिकट दिया ही नहीं था। नीतीश कुमार की कैबिटने में किसी मुस्लिम नेता के शपथ न लेने के पीछे जद-यू के कुछ नेता मानते हैं कि इस बार के चुनाव में एनडीए से कोई भी मुस्लिम नेता विधानसभा नहीं पहुंचा है। इसलिए नीतीश ने अपनी सरकार में किसी मुस्लिम चेहरे को शामिल नहीं किया।
जेडीयू ने ही 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारा
इस बार एनडीए में केवल जेडीयू ने ही 11 मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में उतारे थे लेकिन वे सभी चुनाव हार गए। अब विधान परिषद से ही किसी अल्पसंख्यक समुदाय के शख्स को मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है। नीतीश के मंत्रिमंडल में दलित, भूमिहार, ब्रह्मण, यादव और राजपूत सभी शामिल हैं। इस बार बिहार में मुस्लिम विधायकों की संख्या भी 24 से घटकर 19 हो गई है। 2015 के चुनाव में 25 मुस्लिम प्रत्याशी चुनकर विधानसभा पहुंचे थे लेकिन इस बार AIMIM के पांच और आरजेडी के 8 विधायक ही जीत सके हैं। इसके अलावा चार कांग्रेस से और 1-1 सीपीआई (एम) और बीएसपी से हैं। बिहार में 15 फीसदी मुस्लिम आबादी है।
नीतीश ने सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की
आपको बतां दे कि नीतीश कुमार ने सोमवार को दो दशक में सातवीं बार प्रदेश के मुख्यमंत्री पद की शपथ ग्रहण की। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा जैसे राजग के शीर्ष नेताओं की मौजूदगी में राजभवन में आयोजित एक सादे समारोह में राज्यपाल फागू चौहान ने कुमार को पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलायी । 69 वर्षीय नीतीश कुमार के साथ भाजपा विधानमंडल दल के नेता एवं कटिहार से विधायक तारकिशोर प्रसाद, एवं बेतिया से विधायक रेणु देवी ने भी शपथ ग्रहण की। दोनों को उप मुख्यमंत्री बनाया जाएगा। राजद के नेतृत्व वाले पांच दलों के विपक्षी महागठबंधन ने समारोह का बहिष्कार किया। नीतीश के शपथ ग्रहण के साथ एक ऐसे कार्यकाल की शुरुआत हुई है जिसमें जदयू पहले से कमजोर हुई है और भाजपा पहली बार अपनी क्षेत्रीय सहयोगी पार्टी से मजबूत बनकर उभरी है। बिहार विधानसभा चुनाव में राजग को 125 सीटें मिलीं हैं जिसमें नीतीश कुमार की जदयू को 43 जबकि भाजपा को जदयू से 31 सीट अधिक (74 सीट) हासिल हुईं। नीतीश कैबिनेट का इस बार का स्वरूप बदला नजर आ रहा है। इसमें भाजपा से अधिक मंत्रियों ने शपथ ली और दो उपमुख्यमंत्री बनाये गए। नीतीश कुमार के साथ भाजपा के सात मंत्रियों, जदयू से पांच मंत्रियों और हम पार्टी तथा वीआईपी पार्टी से एक-एक मंत्री ने शपथ ली।