कोई खुशी से भीख नहीं मांगता, हम एलीट वर्ग की तरह नहीं सोच सकते: SC

Edited By Anil dev,Updated: 28 Jul, 2021 12:02 PM

national news punjab kesari delhi supreme court

उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भिखारियों को सड़कों पर आने से रोकने के लिए वह ‘अभिजात्‍यवादी नजरिया'' नहीं अपनाएगा। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भिखारियों और बेसहारा लोगों के पुनर्वास और टीकाकरण के लिए दायर...

नेशनल डेस्क: उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि भिखारियों को सड़कों पर आने से रोकने के लिए वह ‘अभिजात्‍यवादी नजरिया' नहीं अपनाएगा। शीर्ष अदालत ने इसके साथ ही कोविड-19 महामारी के मद्देनजर भिखारियों और बेसहारा लोगों के पुनर्वास और टीकाकरण के लिए दायर याचिका पर मंगलवार को केंद्र तथा दिल्ली सरकार से जवाब मांगा। न्यायालय ने कहा कि भिक्षावृत्ति एक सामाजिक-आर्थिक समस्या है और शिक्षा एवं रोजगार की कमी के कारण आजीविका की कुछ बुनियादी जरूरतों को पूरा करने के लिए बच्चों सहित बड़ी संख्या में लोग सड़कों पर भीख मांगने के लिए मजबूर होते हैं। 

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील से कहा कि वह उस याचिका के एक हिस्से में किए गए उस आग्रह पर विचार नहीं करेंगे जिसमें अधिकारियों को भिखारियों, बेसहारा और बेघर लोगों को सार्वजनिक स्थानों या यातायात चौक पर भीख मांगने से रोकने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। पीठ ने कहा कि वह याचिका में किए गए उस आग्रह पर केंद्र और दिल्ली सरकार को नोटिस जारी कर उनका जवाब मांगेगी जिसमें महामारी के बीच भिखारियों और बेसहारा लोगों के पुनर्वास, उनके टीकाकरण और उन्हें आश्रय एवं भोजन उपलब्ध कराने की गुजारिश की गई है। पीठ ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के रूप में, हम अभिजात्‍यवादी दृष्टिकोण नहीं अपनाना चाहेंगे कि सड़कों पर कोई भी भिखारी नहीं होना चाहिए।'' याचिका में किए गए अनुरोधों के एक अंश का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि इसमे लोगों को सड़कों पर भीख मांगने से रोकने का आग्रह किया जा रहा है। 

न्यायालय ने कहा, ‘‘यह गरीबी की सामाजिक-आर्थिक समस्या है। विचार यह है कि उनका पुनर्वास किया जाए, उन्हें और उनके बच्चों को शिक्षा दी जाए।'' पीठ ने कहा कि ऐसे लोगों के पास कोई विकल्प नहीं होता है और कोई भी भीख मांगना नहीं चाहता है। पीठ ने कहा कि यह सरकार की सामाजिक कल्याण नीति का 'व्यापक मुद्दा' है और शीर्ष अदालत यह नहीं कह सकती कि ‘‘ऐसे लोगों को हमारी नजरों से दूर रखा जाना चाहिए।'' याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील ने कहा कि प्रार्थना का उद्देश्य ऐसे लोगों का पुनर्वास करना और यह सुनिश्चित करना है कि महामारी की स्थिति के बीच उनका टीकाकरण हो, उन्हें भोजन और आश्रय दिया जाए। पीठ ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से इस मामले में मदद करने का अनुरोध किया और इसके साथ ही याचिका को 10 अगस्त को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध कर दिया। 
 

Related Story

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!