Edited By Anil dev,Updated: 08 Dec, 2022 05:26 PM
भारत में पिछले कुछ दशकों में हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ‘लू’ का प्रकोप चिंताजनक गति से बढ़ रहा है। भारत जल्द ऐसी भीषण ‘लू’ का सामना करने वाला दुनिया का पहला देश होगा जो इन्सान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी। एक नई रिपोर्ट में यह चेतावनी...
नेशनल डेस्क: भारत में पिछले कुछ दशकों में हजारों लोगों की मौत के लिए जिम्मेदार ‘लू’ का प्रकोप चिंताजनक गति से बढ़ रहा है। भारत जल्द ऐसी भीषण ‘लू’ का सामना करने वाला दुनिया का पहला देश होगा जो इन्सान की बर्दाश्त की सीमा से बाहर होगी। एक नई रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है। विश्व बैंक की ‘भारत में शीतलन क्षेत्र में जलवायु निवेश के अवसर’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि देश अपेक्षाकृत ज्यादा गर्मी का सामना कर रहा है, जो जल्द शुरू हो जाती है और कहीं ज्यादा समय तक रहती है।
रिपोर्ट में कहा गया है अप्रैल 2022 में भारत समय से पहले ‘लू’ की चपेट में आ गया था, जिससे आम जनजीवन ठहर-सा गया था और राजधानी नई दिल्ली में तो तापमान 46 डिग्री सैल्सियस तक पहुंच गया था। मार्च का महीना तापमान में अप्रत्याशित वृद्धि का गवाह बना था और यह इतिहास का सबसे गर्म मार्च महीना बनकर उभरा था।’’
जी-20 क्लाइमेट रिस्क एटलस ने भी 2021 में आगाह किया था कि यदि कार्बन उत्सर्जन का स्तर अधिक बना रहता है तो पूरे भारत में 2036 से 2065 के बीच ‘लू’ 25 गुना अधिक समय तक चलने की आशंका है। रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि भारत में बढ़ती गर्मी आर्थिक उत्पादकता में कमी ला सकती है। भारत का 75 फीसदी कार्यबल यानी लगभग 38 करोड़ लोग, ऐसे क्षेत्रों में काम करते हैं, जिनमें उन्हें गर्म वातावरण में रहना पड़ता है।