मुसलमानों को ‘अत्यधिक आरक्षण' देने को लेकर एनसीबीसी कर्नाटक के मुख्य सचिव को तलब करेगा

Edited By Mahima,Updated: 25 Apr, 2024 02:42 PM

ncbc to summon karnataka chief secretary

राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को दिए गए ‘‘अत्यधिक आरक्षण'' को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को तलब करेगा। आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी।

नेशनल डेस्क: राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) कर्नाटक में मुस्लिम समुदाय को दिए गए ‘‘अत्यधिक आरक्षण'' को लेकर राज्य के मुख्य सचिव को तलब करेगा। आयोग के अध्यक्ष हंसराज अहीर ने बृहस्पतिवार को यह जानकारी दी। एनसीबीसी ने पूरे मुस्लिम समुदाय को पिछड़ी जाति की श्रेणी में डालने के कर्नाटक सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि इस तरह का व्यापक वर्गीकरण सामाजिक न्याय के सिद्धांतों को कमजोर करता है। 

एनसीबीसी अध्यक्ष अहीर ने कहा, ‘‘ कर्नाटक में मुस्लिम धर्म की सभी जातियों/समुदायों को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़ा वर्ग माना जा रहा है और उन्हें पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी द्वितीय (बी) के तहत अलग से मुस्लिम जाति के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।'' उन्होंने कहा, ‘‘ यह उन्हें भारत के संविधान के अनुच्छेद 15(4) और 16(4) के अनुसार शैक्षणिक संस्थानों में प्रवेश और राज्य की सेवाओं में पदों और रिक्तियों पर आरक्षण प्राप्त करने में सक्षम बनाता है।'' 

एनसीबीसी ने इस पर बल दिया कि वास्तव में मुस्लिम समुदाय में कुछ वर्ग ऐसे हैं जो वंचित हैं और ऐतिहासिक रूप से हाशिए पर हैं, लेकिन पूरे धर्म को पिछड़ा मानने से मुस्लिम समाज के भीतर विविधता और जटिलताओं की अनदेखी होती है। अहीर ने कहा कि इस मामले पर राज्य सरकार से मिली प्रतिक्रिया संतोषजनक नहीं है और वह इस कदम पर स्पष्टीकरण देने के लिए कर्नाटक के मुख्य सचिव को बुलाएंगे।कर्नाटक पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार मुस्लिम धर्म के भीतर सभी जातियों और समुदायों को पिछड़े वर्गों की राज्य सूची में श्रेणी द्वितीय(बी) के तहत सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के रूप में सूचीबद्ध किया गया है।

आयोग ने पिछले साल एक क्षेत्रीय दौरे के दौरान शैक्षणिक संस्थानों और सरकारी नौकरियों में ओबीसी के लिए कर्नाटक की आरक्षण नीति की समीक्षा की थी। कर्नाटक सरकार की ओर से स्थानीय निकाय चुनावों में मुस्लिमों सहित पिछड़े वर्गों को 32 प्रतिशत आरक्षण प्रदान किया जाता है, एनसीबीसी ने सभी बारीकियों पर गौर करते हुए ऐसा दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत पर जोर दिया जो इन समुदायों के भीतर विविधता को ध्यान में रखे। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, कर्नाटक में मुसलमानों की आबादी 12.92 प्रतिशत है। 

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