ईरान पर अमेरिकी प्रतिबंध की खबर, जानें विस्तार में

Edited By Yaspal,Updated: 05 Nov, 2018 09:54 PM

5 नवंबर, 2018 की आधी रात से अमेरिका के ईरान पर कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लागू हो चुके हैं। 14 जुलाई 2015 को अमेरिका सहित P5+1 देशों ने ईरान...

नई दिल्लीः (मनीष शर्मा)  5 नवंबर, 2018 की आधी रात से ईरान पर अमेरिका के कई तरह के आर्थिक प्रतिबंध लागू हो चुके हैं। 14 जुलाई, 2015 में अमेरिका सहित P5+1 देशों ने ईरान के साथ परमाणु समझौता किया। इस समझौते में जर्मनी सहित सुरक्षा परिषद के स्थाई सदस्य जैसे चीन, फ्रांस, इंग्लैंड और रूस शामिल हैं। इस समझौते के तहत ईरान को तेल बेचने की छूट मिली, जिसके एवज में ईरान अपने परमाणु हथियार कार्यक्रमों को रोकने पर सहमत हुआ है। 8 मई, 2018 को अमेरिका ने खुद को परमाणु समझौते से अलग कर लिया। 7 अगस्त, 2018 को अमेरिका ने ईरान पर प्रतिबंध लगा दिए। अमेरिका ने दुनिया को ईरान से पांच नवंबर से पहले पहले अपने व्यापारिक रिश्ते ख़त्म करने को कहा।

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अमेरिका ने क्यों लगाया प्रतिबंध?

सबसे पहले समझें कि अमेरिका में दो प्रमुख राजनीतिक पार्टियां हैं। डेमोक्रेटिक पार्टी और रिपब्लिकन पार्टी। ईरान से परमाणु डील करने वाले बराक ओबामा डेमोक्रेटिक पार्टी से थे और मौजूदा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प रिपब्लिकन पार्टी से हैं। रिपब्लिकन पार्टी ने इस समझौते का खुल कर विरोध किया था। डोनाल्ड ट्रम्प ने अपने राष्ट्रपति चुनाव अभियान के दौरान वायदा किया था कि उनकी सरकार इस समझौते से अमेरिका को अलग कर देगी।

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प्रतिबंध से ईरान पर असर

  • ईरान अमेरिकी डॉलर के बैंक नोटों की खरीद या अधिग्रहण नहीं कर पाएगा।
  • ऑटोमोटिव सेक्टर, सोना व अन्य बहुमूल्य धातुओं के व्यापार प्रतिबंधित होंगे।
  • ईरान को तेल के निर्यात में दिक्कतें आएंगी।
  • सेंट्रल बैंक ऑफ ईरान के विदेशी संगठनों से लेन-देन पर भी रोक लगी।
  • महंगाई और बेरोज़गारी बढ़ेगी।
  • जीवन रक्षक दवाओं की भारी कमी हो जाएगी।


विश्व पर असर

  • ईरान दुनिया का छठा सबसे बड़ा तेल उत्पादक देश है।
  • विश्व की अर्थव्यवस्था में तेल का बहुत बढ़ा योगदान है। ईरान पर प्रतिबंध लगने से तेल की कीमतों में वृद्धि होगी।
  • फ्रेंच कंपनी 'टोटल ' का ईरान से 5 बिलियन डॉलर का सौदा हुआ है।
  • यूरोपियन विमान  कंपनी 'एयरबस' और अमेरिकी कंपनी 'बोईंग' का बिलियन डॉलर का निवेश ईरान में हुआ है।
  • भारत प्रतिबंध का क्यों कर रहा है विरोध ?
  • फिलहाल भारत सहित 8 देशों को मार्च 2019 तक  ईरान से तेल खरीदने की छूट मिल गई है।
  • ईरान भारत को तेल निर्यात करने वाला दूसरा बड़ा देश है। पहले उसके स्थान पर सऊदी अरब था।
  • कच्चे तेल को ईरान से भारत लाने की क़ीमत दूसरे देशों के मुक़ाबले कम है और दूसरों के मुक़ाबले भुगतान के मामले में ईरान ज़्यादा बड़ी समय-सीमा देता है।
  • प्रतिबंध लगने के बाद भारत ईरान से तेल रुपए में खरीद सकता है, जैसे वह 2015 से पहले खरीदता था।  इस समय भारत यूरो में तेल खरीदता है।
  • 2016-17 में दोनों देशों के बीच व्यापार 12.9 बिलियन डॉलर था।
  • भारत ने 85 मिलियन डॉलर ईरान के चाबहार बंदरगाह में निवेश किये हुए हैं जो सामरिक और व्यापारिक लिहाज से भारत के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।

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