Edited By Rohini Oberoi,Updated: 23 May, 2025 10:16 AM

बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता एक बार फिर बढ़ गई है। देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की खबरें सामने आ रही हैं। यूनुस ने कथित तौर पर कहा है कि वह मौजूदा हालात और देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच काम नहीं कर सकते। इसके पीछे...
नेशनल डेस्क। बांग्लादेश में राजनीतिक अस्थिरता एक बार फिर बढ़ गई है। देश की अंतरिम सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस के इस्तीफे की खबरें सामने आ रही हैं। यूनुस ने कथित तौर पर कहा है कि वह मौजूदा हालात और देशव्यापी विरोध प्रदर्शनों के बीच काम नहीं कर सकते। इसके पीछे एक बड़ी वजह मोहम्मद यूनुस और सेना प्रमुख वकार-उज-जमान के बीच मतभेद बताई जा रही है।
शेख हसीना के बाद यूनुस को मिली थी कमान
बांग्लादेश में हाल ही में छात्र आंदोलन के बाद पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को इस्तीफा देना पड़ा था जिसके बाद उन्होंने भारत में शरण ली थी। दरअसल छात्र 30% कोटा सिस्टम का विरोध कर रहे थे जो स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारों को दिया जा रहा था। इस विरोध के बाद बांग्लादेश में अंतरिम सरकार का गठन हुआ और अमेरिका में रह रहे मोहम्मद यूनुस को इसका प्रमुख बनाया गया था।
सेना और यूनुस के बीच अनबन की वजह
अब मोहम्मद यूनुस इस्तीफे पर विचार कर रहे हैं क्योंकि उनका मानना है कि राजनीतिक दलों के बीच मुख्य मुद्दों पर आम सहमति नहीं बन पा रही है। इस्तीफे की एक बड़ी वजह सेना प्रमुख जनरल वकार-उज-जमान के साथ उनकी अनबन मानी जा रही है। हाल ही में वकार ने अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा था कि आम चुनाव इस साल दिसंबर से आगे नहीं टलने चाहिए।
आर्मी चीफ ने यह भी स्पष्ट किया कि अंतरिम सरकार को संवैधानिक निर्णय लेने का कोई अधिकार नहीं है। रखाइन कॉरिडोर के मुद्दे पर भी सेना पहले ही कह चुकी है कि उनकी सहमति के बिना इसे बनाना पूरी तरह अवैध होगा।
चुनाव को लेकर राजनीतिक दबाव और कट्टरपंथी संगठनों की राय
पूर्व प्रधानमंत्री खालिदा जिया ने भी यूनुस पर दबाव बनाते हुए दिसंबर तक चुनाव कराने की मांग की है। उनकी पार्टी ने चेतावनी जारी की है कि अगर जल्द चुनाव नहीं हुए तो वे अंतरिम सरकार को समर्थन नहीं दे पाएंगे। हालांकि देश के कुछ कट्टरपंथी संगठन नहीं चाहते हैं कि 5 साल से पहले चुनाव हों।
वहीं कहा जा सकता है कि यह स्थिति बांग्लादेश के राजनीतिक भविष्य को लेकर अनिश्चितता पैदा कर रही है जहां चुनाव की समय-सीमा और अंतरिम सरकार के अधिकार को लेकर सेना राजनीतिक दलों और अन्य संगठनों के बीच गहरे मतभेद सामने आ रहे हैं।