निर्भया केस: SC में दोषी अक्षय की रिव्यू पिटिशन खारिज, रद्द नहीं होगी फांसी

Edited By Seema Sharma,Updated: 18 Dec, 2019 02:05 PM

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दिल्ली निर्भया कांड के 4 दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। दोषी अक्षय की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दलीलों में दम नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही निर्भया के दोषियों की...

नई दिल्लीः दिल्ली निर्भया कांड के 4 दोषियों में से एक अक्षय ठाकुर की रिव्यू पिटिशन को सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को खारिज कर दिया। दोषी अक्षय की याचिका खारिज करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दलीलों में दम नहीं है। कोर्ट के इस फैसले के साथ ही निर्भया के दोषियों की फांसी की सजा बरकरार है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस केस में जो भी जांच और ट्रायल हुआ वो सही था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों को राष्ट्रपति को अपनी दया याचिका भेजने के लिए 7 दिन का समय दिया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर निर्भया की मां आशा देवी की प्रतिक्रिया आई है। उन्होंने कहा कि मैं इस फैसले से काफी खुश हूं।

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फांसी की सजा पाए चारों आरोपियों में से एक अक्षय ठाकुर ने सर्वोच्च अदालत से रहम की गुहार लगाई है। वहीं इससे पहले सुनवाई शुरू होने पर दोषी अक्षय के वकील एपी सिंह ने TIP यानी टेस्ट इन परेड को लेकर भी सवाल उठाए। जस्टिस भानुमति ने कहा कि इस पॉइंट को ट्रायल में कंसीडर किया गया था? सिंह ने कहा कि नहीं, ये नया फैक्ट है। सुप्रीम कोर्ट ने बहस के लिए सभी पक्षों को 30-30 मिनट का समय दिया था।

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अक्षय के वकील ने कहा कि 21 मिनट में गैंगरेप कैसे हो सकता है, फर्जी रिपोर्ट बनाई गई है। साथ ही वकील एपी सिंह ने निर्भया के दोस्त पर पैसे लेकर इंटरव्यू देने पर भी सवाल उठाए। वकील ने कहा कि मेरा मुवक्किल गरीब है इसलिए उसे फांसी दी जा रही है। बता दें कि इससे पहले मंगलवार को चीफ जस्टिस एसए बोवडे ने इस मामले में खुद को सुनवाई से अलग कर लिया था इसलिए जस्टिस भानुमति की अध्यक्षता वाली पीठ आज इस मामले पर सुनवाई कर रही है। पीठ के अन्य सदस्य जस्टिस अशोक भूषण और जस्टिस बोपन्ना है।

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सीजेआई ने मंगलवार को कहा कि इस मामले में उनके एक निकटस्थ परिजन ने पीड़िता की मां की ओर से पैरवी की थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन उन्होंने खुद को सुनवाई से अलग करने का निर्णय लिया। गौरतलब है कि न्यायमूर्ति बोबडे के भतीजे अर्जुन बोबडे ने पीड़िता की मां आशा देवी की ओर से मामले की पैरवी की थी।

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