अवमानना केस में प्रशांत भूषण, तरुण तेजपाल को राहत नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने कहा- और होगी सुनवाई

Edited By Yaspal,Updated: 10 Aug, 2020 10:18 PM

no relief to prashant bhushan in contempt case sc and will be heard

सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कार्यकर्ता-अधिवक्ता प्रशांत भूषण और पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ 2009 के आपराधिक अवमानना मामले में आगे और सुनवाई की जरूरत है ताकि यह परखा जा सके कि क्या न्यायाधीशों के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार'' की टिप्पणियां'' अवमानना है...

नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि कार्यकर्ता-अधिवक्ता प्रशांत भूषण और पत्रकार तरुण तेजपाल के खिलाफ 2009 के आपराधिक अवमानना मामले में आगे और सुनवाई की जरूरत है ताकि यह परखा जा सके कि क्या न्यायाधीशों के खिलाफ ‘भ्रष्टाचार' की टिप्पणियां' अवमानना है या नहीं। शीर्ष अदालत ने चार अगस्त को प्रशांत भूषण और तरूण तेजपाल को यह स्पष्ट कर दिया था कि यदि वह इस मामले में उनकी ‘सफाई' या ‘माफी' स्वीकार नहीं करती है तो उनके खिलाफ आगे सुनवाई की जाएगी।

न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा न्यायमूर्ति, बी आर गवई और न्यायमू्र्ति कृष्ण मुरारी की तीन सदस्यीय पीठ ने कहा, ‘‘किसी निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कि क्या भ्रष्टाचार के बारे में बयान को न्यायालय की अवमानना माना जाएगा, मामले में आगे सुनवाई की आवश्यकता है।'' पीठ ने इस मामले को आगे सुनवाई के लिए 17 अगस्त को सूचीबद्ध किया है।

शीर्ष अदालत ने नवंबर 2009 में एक समाचार पत्रिका के साक्षात्कार में शीर्ष अदालत के कुछ मौजूदा एवं पूर्व न्यायाधीशों पर कथित तौर पर आक्षेप लगाने के लिए भूषण और तेजपाल को अवमानना नोटिस जारी किए थे। तेजपाल तब इस पत्रिका के संपादक थे। शीर्ष अदालत ने चार अगस्त के आदेश में यह भी कहा था कि प्रशांत भूषण और तरुण तेजपाल का स्पष्टीकरण या माफीनामा उसे अभी तक नहीं मिला है और वह इसे स्वीकार करने या नहीं करने के बारे में अपना आदेश सुनाएगी।

पीठ ने अपने पिछले हफ्ते के आदेश में कहा था, “प्रतिवादी संख्या एक- प्रशांत भूषण और प्रतिवादी संख्या दो- तरुण तेजपाल द्वारा सौंपा गया स्पष्टीकरण या माफीनामा अब तक प्राप्त नहीं हुआ है। अगर हम स्पष्टीकरण या माफी को स्वीकार नहीं करते हैं, तो हम मामले को सुनेंगे। हम आदेश सुरक्षित रखते हैं।” पिछले हफ्ते वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए हुई संक्षिप्त सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा था कि वह बोलने और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को प्रतिबंधित नहीं करना चाहती है लेकिन अवमानना के संबंध में इसमें बहुत बारीक सा भेद होता है।

भूषण के कार्यालय ने बाद में कहा कि चार अगस्त को शीर्ष अदालत में उन्होंने बयान दिया था। बयान के अनुसार प्रशांत भूषण ने माफी मांगने से इंकार कर दिया था लेकिन वह इस विषय पर बयान देने के लिए राजी हो गए थे। भूषण ने कहा था, ‘‘तहलका को 2009 में दिए गए इंटरव्यू में मैंने भ्रष्टाचार शब्द का उपयोग व्यापक संदर्भ में शुचिता की कमी के बारे में किया था। मेरा तात्पर्य किसी तरह के वित्तीय भ्रष्टाचार या आर्थिक लाभ प्राप्त करने से नहीं था। यदि मैंने जो कुछ कहा उससे उनमें से किसी को या उनके परिवारों को किसी भी तरह से ठेस पहुंची तो मैं इसके लिए खेद व्यक्त करता हूं।''

शीर्ष अदालत ने 22 जुलाई को, न्यायपालिका के खिलाफ भूषण के कथित अपमानजनक ट्वीट के लिए उनके खिलाफ अलग से स्वत: संज्ञान लेते हुए शुरू की गई अवमानना की कार्यवाही में नोटिस जारी किया था और कहा था कि उनका बयान प्रथम दृष्टया “न्याय के प्रशासन को बदनाम करता है।” सुप्रीम कोर्ट ने पांच अगस्त को भूषण के खिलाफ अवमानना मामले में कहा था कि वह इस पर अपना आदेश बाद में सुनाएगा।

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