सांबा में अच्छी सडक़े होने के बावजूद भी नहीं रूक रहे हादसे,  इस वर्ष हो चुकी है 79 लोगों की मौत

Edited By Monika Jamwal,Updated: 05 Oct, 2018 03:13 PM

no relife in accident despite of good roads in samba

एक तरफ राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार दिन व दिन बेहतरीन सडक़े बनाकर यातायात को बेहतरीन बनाकर लोगों को गाड़ी चलाने के लिए राहत प्रधान कर रहे हैं तो दूसरी तरफ इन अच्छी सडक़ों के होने के बाद ही हादसों में लगातार इजाफा होता जा रहा है।

साम्बा (अजय सिंह): एक तरफ राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार दिन व दिन बेहतरीन सडक़े बनाकर यातायात को बेहतरीन बनाकर लोगों को गाड़ी चलाने के लिए राहत प्रधान कर रहे हैं तो दूसरी तरफ  इन अच्छी सडक़ों के होने के बाद ही हादसों में लगातार इजाफा होता जा रहा है।  जिला प्रशासन के एम.वी.डी. और ट्रैफिक विभाग सडक़ों पर नाके लगाकर नियमों का उल्लघन करने वालों केे खिलाफ कार्रवाई करके चालान काट रहे हैं, परंतु ऐसा दिख रहा है कि फिर भी लोग सुधरने का नाम नहीं ले रहे हैं। पंजाब केसरी को सूत्रों से मिले हुए आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2017 में जिला साम्बा के विभिन्न पुलिस थानों में सडक़ दुर्घटना के 304 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 88 लोगों की मौत हो गई, जबकि 427 लोग जख्मी हुए। 

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 कुछ ऐसे मामले भी होते हैं जो कि पुलिस तक नहीं पहुंच पाते हैं और आपसी रजामंदी से सब कुछ हल हो जाता है। इसी तरह से बात की जाए वर्ष 2018 की तो अभी तक 266 मामले दर्ज हुए हैं, जिसमें 79 मौतें और 306 जख्मी शामिल है जो कि यह बात साबित करता है कि यह साल खत्म होने तक आंकड़ा पार कर जाएगा। इस सभी आंकड़ों से साफ साबित हो रहा है कि चाहे कितनी भी बेहतीन हाइवें क्यूं न बन जाए, हादसों में कमी आती हुई नहीं दिख रही है। 

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  इस संबंध में साम्बा के समाजिक नेता संदीप सम्बयाल ने कहा कि सबसे जरूरी है कि परिजन अपने बच्चों का खुद ख्याल रखें और उन्हें ज्यादा छूट न दें। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी हैल्मैट पहनने से पूरी तरह परहेज करती है, जबकि अगर उन्हें पहननी भी पड़े तो इसलिए पहनते हैं कि ट्रैफिक पुलिस के चालान से बचा जाए। उन्होंने कहा कि साम्बा जिला में ही ऐसे कई उदहारण है, जिसमें छोटी आयु के युवाओं ने हादसों में अपनी जान गवाईं हैं। संदीप ने कहा कि कानून तो अपना काम करता है, जबकि हमे भी अपने घर से जागरूक होकर चलना चाहिए। उन्होंने कहा कि सडक़े अच्छी बनने का लोग गलत लाभ लेकर तेज रफ्तार से गाड़ी चलाते हैं, जिससे हादसे हो जाते हैं।

 

हादसों में सबसे ज्यादा सख्यां युवा वर्ग की, नियमों की नहीं परवाह
जानकारों के अनुसार इन हादसों में सबसे ज्यादा संख्या युवाओं की होती है जो कि तेज रफ्तार पर कंट्रोल नहीं कर पाते हैं और नतीजा हादसा हो जाता है। कई हादसों में यह पाया गया है कि युवाओं को नियमों का बिलकुल भी ज्ञात नहीं है, लेकिन फिर भी व दो-पहिाया वाहनों को सडक़ों पर जमकर चालकर नियमों का उल्लघन करके अपनी जान को जोख्मि में डाल रहे हैं। सडक़ों पर युवाओं की तेज रफ्तार भी स्पीड भी हादसों का कारण बनती है, क्योंकि सडक़ किनारे खड़ी की गई गाडिय़ों से टकराकर सीधे अस्पताल पहुंच जाते हैं।

 

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क्या कहना है डी.एस.पी. ट्रैफिक बिहारी लाल का
इस संबंध में बात करते हुए डी.एस.पी. ट्रैफिक साम्बा-कठुआ बिहारी लाल ने बताया कि उनकी टीमें जिला के विभिन्न रूटों पर नाके लगाकर नियमों का उल्लघन करने वालों का चालान काटते हैं, जबकि कई बाद युवाओं को समझाकर भी भेजा जाता है। उन्होंने कहा कि पिछले 2 महीने (अगस्त और सितम्बर) के दौरान उन्होंने रूट लगभग 25 हजार नियमों का उल्लघन करने वालों के चालान किए हैं। उन्होंने कहा कि ट्रैफिक पुलिस का मुख्य मकसद यही रहता है कि चालान के माध्यम से उन्हें एक बार चेतावनी देकर भेजा जाए ताकि व हैल्मैट, सीट बैल्ट सहित अपने जरूरी कागजात को साथ लेकर चलें।
 

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