हवाई अड्डे पर अब नहीं खोएगा आपका बैग, युवा वैज्ञानिक लेकर आए नई तकनीक

Edited By Seema Sharma,Updated: 24 Jun, 2018 03:36 PM

now you will not loose your luggage at the airport

विमान से उतरने के बाद यात्रियों की सबसे बड़ी चिंता अपने सामान को लेकर होती है और उनकी यह चिंता जायज भी है क्योंकि देश के 449 हवाई अड्डों पर हर दिन 128 बैग इधर-उधर हो जाते हैं तभी तो इस वर्ष के स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन की स्‍मार्ट कम्‍युनिकेशन श्रेणी...

पिलानी: विमान से उतरने के बाद यात्रियों की सबसे बड़ी चिंता अपने सामान को लेकर होती है और उनकी यह चिंता जायज भी है क्योंकि देश के 449 हवाई अड्डों पर हर दिन 128 बैग इधर-उधर हो जाते हैं तभी तो इस वर्ष के स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन की स्‍मार्ट कम्‍युनिकेशन श्रेणी के फाइनल में पहुंची 13 टीमों में तीन ऐसे दलों को शामिल किया गया था, जिन्‍होंने इस समस्या के समाधान के मॉडल पेश किए। पिलानी स्‍थित वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर)-सीरी में आयोजित स्‍मार्ट कम्‍युनिकेशन वर्ग के ग्रैंड फिनाले में नई दिल्‍ली के भारती विद्यापीठ कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, नवी मुंबई के एसआईईएस ग्रेजुएट स्‍कूल ऑफ टेक्‍नोलॉजी एवं बेंगलुरु के आर.वी. कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग की 6-6 सदस्‍यीय टीमों ने इस समस्‍या के समाधान के लिए अपने हार्डवेयर उत्‍पाद के प्रोटोटाइप प्रस्‍तुत किए। इनमें से बेंगलुरु और नई दिल्‍ली की टीमों ने प्रतियोगिता में क्रमश: दूसरा और तीसरा स्‍थान हासिल किया

स्‍मार्टफोन से बैग पर नजर
पुडुचेरी सरकार ने इस साल के स्‍मार्ट इंडिया हैकाथॉन में इस समस्‍या को रखा था। बेंगलुरु की टीम का नेतृत्‍व सुप्रीत वाई एस ने किया। इस टीम ने अपने उत्‍पाद में पैसिव आरएफआईडी (रेडियो फ्रिक्‍वेंसी आइडेंटिफिकेशन) टैग का इस्‍तेमाल किया है। इस टैग के जरिए बैग की वास्‍तविक स्‍थिति पर नजर रखी जा सकेगी एवं बैगेज खोने की स्‍थिति में इस टैग की मदद से उसे आसानी से ढूंढा जा सकेगा। साथ ही यात्री अपने स्‍मार्टफोन की मदद से बैग की वास्‍तविक स्‍थिति पर नजर रख सकेंगे। इसके अलावा यात्रियों को बैगेज की स्‍थिति के बारे में एसएमएस के जरिये भी सूचना प्राप्‍त होगी।

खर्च करने होंगे इतने रुपए
सुप्रीत ने बताया कि यह टैग बहुत किफायती है और यात्री को इसके लिए महज 20 से 30 रुपए खर्च करने होंगे। उन्होंने बताया कि इन टैग को फिर से इस्तेमाल किया जा सकता है और यात्री चाहे तो गंतव्‍य तक पहुंचने के बाद इस टैग को अपने साथ घर ले जा सकेंगे। वे अपनी मूल्‍यवान वस्‍तुओं एवं पालतू पशुओं को इस टैग के जरिये ट्रैक कर सकेंगे।

ये होगी इसकी खासियत
र्हिषल बंसल की अगुवाई वाली दिल्‍ली की टीम ने भी कुछ इसी तरह का प्रोटोटाइप पेश किया। दिल्ली टीम की अगुवाई कर रहे बंसल ने बताया कि उनके मॉडल की खासियत यह है कि इसमें यात्रियों के साथ-साथ भारतीय विमानपत्तन प्राधिकरण को भी बैगेज की वास्तविक स्थिति के बारे में जानकारी दी जाएगी। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा प्रस्तावित मॉडल में बारकोड की पुरानी व्यवस्था को हटाने की आवश्यकता नहीं होगी और उनका टैग पहले की प्रणाली को बेहतर बनाएगा। इन दोनों टीमों द्वारा तैयार किया गया हरेक टैग 10-12 मीटर तक काम करेगा। दोनों टीमों ने बताया कि उन्होंने पैसिव आरएफआईडी का इस्तेमाल किया है जो हमारे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक नहीं है।

इन बड़ी हस्तियों के अटक गए थे बैग
गौरतलब है कि इस साल 29 मार्च को नई दिल्ली स्थित इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के टर्मिनल-3 पर सैकडों यात्रियों को ‘बैगेज क्लियरेंस’ में विलंब का सामना करना पड़ा, जिसके चलते लंबी कतारें लग गईं और उड़ानों में देर हुई। भाजपा की लोकसभा सदस्य हेमा मालिनी भी उन यात्रियों में शामिल थीं जिनका बैग अटक गया था। ऐसी खबरें मिली थीं कि समाजवादी पार्टी के नेता अखिलेश यादव का बैग भी अटक गया था। रेल मंत्री पीयूष गोयल भी मुंबई में एक कार्यक्रम में देरी से पहुंचे। सूत्रों ने बताया कि विमान के देरी से उड़ान भरने के चलते ऐसा हुआ। भारत में कुल 449 हवाई अड्डे हैं और एक अनुमान के मुताबिक 128 बैग प्रतिदिन गलत हाथों में चले जाते हैं। इससे यात्रियों को असुविधा का सामना करना पड़ता है और उन्हें देरी होती है। सीएसआईआर-सीरी के निदेशक शांतनु चौधुरी ने इन प्रोटोटाइप के व्यावसायिक संस्करण लांच होने पर इस समस्या के समाधान की उम्मीद जताई।

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