Edited By Pardeep,Updated: 27 Sep, 2020 04:57 AM
हरसिमरत कौर बादल, जिन्होंने कृषि संबंधित 3 विधेयकोंं के विरोध में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री का पद छोड़ दिया, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली का स्वाद चखना पड़ा। उन्होंने लोकसभा में तीनों कृषि विधेयकों को रोकने के लिए मोदी को मनाने की भरपूर...
नई दिल्लीः हरसिमरत कौर बादल, जिन्होंने कृषि संबंधित 3 विधेयकोंं के विरोध में खाद्य प्रसंस्करण मंत्री का पद छोड़ दिया, को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली का स्वाद चखना पड़ा। उन्होंने लोकसभा में तीनों कृषि विधेयकों को रोकने के लिए मोदी को मनाने की भरपूर कोशिश की, लेकिन वह उन्हें मनाने में नाकाम रहीं। इसके बाद कोई विकल्प नहीं होने पर प्रधानमंत्री से मुलाकात का समय मांगा, लेकिन पी.एम. के सहयोगी ने उन्हें विनम्रता से गृह मंत्री या पार्टी अध्यक्ष जे.पी. नड्डा से संपर्क करने के लिए कहा। उस समय अमित शाह एम्स से स्वस्थ होकर लौटने के बाद उपलब्ध नहीं थे।
ऐसे में बिना किसी विकल्प के, उन्होंने नड्डा के दरवाजे पर दस्तक दी। उन्होंने नड्डा से कहा कि अगर ये विधेयक पारित हो जाते हैं, तो उनके पास सरकार छोड़ने के अलावा कोई विकल्प नहीं होगा और शायद एन.डी.ए. भी। वह चाहती थीं कि विधेयकोंं को ‘संसद की चयन समिति’ को अंतिम प्रयास के रूप में भेजा जाए। हमेशा मुस्कराने वाले नड्डा के हाथ में कठिन काम था क्योंकि अकाली 5 दशकों से भाजपा के सबसे पुराने सहयोगी थे। इसके बाद नड्डा और सरकार के बीच क्या हुआ, इसकी जानकारी नहीं है, लेकिन हरसिमरत कौर को बताया गया कि अगर उन्होंने मंत्रिमंडल से अपना इस्तीफा दे दिया, तो बिना देरी किए इसे स्वीकार कर लिया जाएगा।
वहीं, जब पिछले शुक्रवार को लोकसभा में विधेयकोंं को पारित कर दिया गया, तो उन्होंने प्रधानमंत्री से फिर से तत्काल मुलाकात की अनुमति मांगी, ताकिवह अपना इस्तीफा दे सकें। पी.एम. अपने संसद भवन के चैम्बर में बैठे थे और वह कमरे में मिलने हेतु चली गईं। उन्होंने पी.एम. के सहयोगी से कहा कि उनके लिए पी.एम. से मिलना जरूरी है, लेकिन पी.एम. फिर से कुछ जरूरी काम करने में व्यस्त थे। कैबिनेट मंत्री इंतजार कर रही थीं लेकिन उनके पास समय नहीं था। निराश हरसिमरत कौर ने अपने इस्तीफे का पत्र सीलबंद कवर में मोदी के कार्यालय में एक जूनियर सहयोगी को सौंप दिया। बाकी सब इतिहास है। मोदी ने बिना पलक झपकाए इसे स्वीकार कर लिया।