कश्मीर पर बदलने लगे PAK के सुर? SAARC की बैठक में न विवादित नक्शा लगाया ना जिक्र किया

Edited By Yaspal,Updated: 24 Sep, 2020 07:41 PM

pak s tone started changing on kashmir

कोरोना संकट काल में गुरुवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी शामिल हुए। कुरैशी ने अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। इससे पहले...

नेशनल डेस्कः कोरोना संकट काल में गुरुवार को दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (SAARC) देशों के विदेश मंत्रियों की वर्चुअल बैठक हुई, जिसमें पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी भी शामिल हुए। कुरैशी ने अपने भाषण में कश्मीर का जिक्र नहीं किया। इससे पहले बैठक के दौरान पाकिस्तान की ओर से बैठक में एक और बदलाव दिखा, अब उसकी ओर से बैकग्राउंड में कोई नक्शा नहीं लगाया गया। पाकिस्तान के इस बदले सुर को लेकर अब कयास लगाए जाने लगे हैं।

पाकिस्तानी विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपने भाषण में संयुक्त राष्ट्र चार्टर और प्रस्तावों को लागू करने की बात कही। विवादित क्षेत्रों की स्थिति में एकतरफा बदलाव की भी निंदा समेत कई मुद्दों पर चर्चा की, लेकिन उन्होंने अपने भाषण में एक बार भी कश्मीर शब्द का उल्लेख नहीं किया।

बदलाव के पीछे क्या है रणनीति
इससे पहले विदेश मंत्रियों के इस बैठक में एक और बदलाव देखने को मिला, पाकिस्तान ने इस बार बैकग्राउंड में किसी तरह का नक्शा नहीं लगाया। पिछले दिनों एससीओ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकारों की बैठक में भारत ने पाकिस्तान की ओर से इसी विवादित नक्शा लगाने को लेकर कड़ा विरोध जताते हुए मीटिंग ही छोड़ दी थी। सार्क विदेश मंत्रियों बैठक में इन बदलावों के पीछे माना जा रहा है कि पाकिस्तान जल्द से जल्द सार्क के 19वें शिखर सम्मेलन की मेजबानी करना चाहता है।
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जयशंकर बोले- मिलकर खत्म करना होगा आतंकवाद
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि दक्षेस को आतंकवाद तथा कारोबार एवं सम्पर्क में बाधा उत्पन्न करने से जुड़ी तीन महत्वपूर्ण चुनौतियों का निपटारा करने की जरूरत है। विदेश मंत्री ने यह बात दक्षेस समूह की डिजिटल माध्यम से हुई अनौपचारिक बैठक में कही जिसे पाकिस्तान की आलोचना के रूप में देखा जा रहा है। दक्षेस विदेश मंत्रियों की अनौपचारिक बैठक को संबोधित करते हुए जयशंकर ने आतंक का पोषण, समर्थन और प्रोत्साहित करने वाली ताकतों सहित आतंकवाद की बुराई को परास्त करने के लिये सामूहिक संकल्प की जरूरत बतायी। विदेश मंत्री ने ‘पड़ोस प्रथम' की भारत की प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि की और एक दूसरे से जुड़े, समन्वित और समृद्ध दक्षिण एशिया की कामना की।

SAARC की स्थापना 8 दिसंबर, 1985 को बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हुई थी। SAARC की स्थापना के समय इस संगठन में क्षेत्र के 7 देश (भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, मालदीव और श्रीलंका) शामिल हुए थे लेकिन साल 2007 में अफगानिस्तान को भी इस संगठन में शामिल कर लिया गया।

 

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