Edited By Monika Jamwal,Updated: 31 Aug, 2019 01:51 PM
जहां एक और श्राइन बोर्ड द्वारा अपना स्थापना दिवस मनाया गया वहीं दूसरी और मां वैष्णो देवी के पूर्व पंडितों व बारिदारों ने आधार शिविर कटड़ा के मुख्य चौक पर श्राइन बोर्ड के विरोध में अपना रोष प्रकट करते हुए काला दिवस मनाया।
कटड़ा (अमित शर्मा) : जहां एक और श्राइन बोर्ड द्वारा अपना स्थापना दिवस मनाया गया वहीं दूसरी और मां वैष्णो देवी के पूर्व पंडितों व बारिदारों ने आधार शिविर कटड़ा के मुख्य चौक पर श्राइन बोर्ड के विरोध में अपना रोष प्रकट करते हुए काला दिवस मनाया। पूर्व पुजारी व बारीदारों का कहना था कि जब बोर्ड का गठन हुआ था, तब तत्कालीन राज्यपाल जगमोहन द्वारा ये वादा किया गया था कि श्राइन बोर्ड का पैसा कटड़ा के विकास के लिए लगाया जाएगा और इस पर बैठे उच्चाधिकारियों द्वारा इसका दुरपयोग किया जा रहा है, क्योंकि एक ओर जहां माता के भवन पर होने वाली अटका आरती के लिए भी श्राइन बोर्ड द्वारा पैसे बसूले जाते हैं, वहीं दूसरी ओर पूर्व पंडितों व बारीदारों के लिए कोई भी प्राथमिक सुविधा श्राइन बोर्ड में नहीं है।
इसके साथ ही पूर्व पंडितों व बारीदारों का कहना था कि वर्ष 2014 में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों के दौरान प्रधानमंत्री नरिंद्र मोदी ने वादा किया था कि वह बारीदारों के हक को दिलाएंगे, जिसके लिए बारदारों ने मांग की है कि अब जल्द वादे को पूरा करते हुए सरकार उन्हें हक दिलाने के लिए आगे आएं।
गौरतलब है कि सन 1986 में पूर्व राज्यपाल जगमोहन ने माता के पंडित व बारीदारों को उनके हक से वंचित कर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड का गठन किया था, इससे पहले मां वैष्णो देवी जी के भवन में पंडित व बारीदार अपनी सेवाएं देते थे, जिससे उनके जीवन व परिवार का पालन पोषण होता था। 30 अगस्त रात्रि 2 बजे जबरन पंडित व बारीदारों को वहां से निकालकर बोर्ड का गठन कर मां वैष्णो देवी जी के भवन को अपने कब्जे में किया और तब से लेकर आज तक 30 हजार पंडित व बारिदार बेरोजगार हुए और अपने हक की लड़ाई के लिए 33 वर्षों से लड़ रहे हैं। जहां श्राइन बोर्ड 30 अगस्त को अपना स्थापना दिवस मनाता है, वहीं ये पूर्व पंडित व बारीदार इसे काला दिवस के रूप में मनाते हैं।