पवार ने बताई क्या है जनता की ताकत, बोले- याद करो इंदिरा और अटल को भी मिली थी हार

Edited By vasudha,Updated: 11 Jul, 2020 04:27 PM

pawar told what is the power of the public

भाजपा पर निशाना साधते हुए राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि नेताओं को मतदाताओं का महत्व नहीं समझने की भूल नहीं करनी चाहिए क्योंकि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रभावशाली नेताओं को भी चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था...

नेशनल डेस्क: भाजपा पर निशाना साधते हुए राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि नेताओं को मतदाताओं का महत्व नहीं समझने की भूल नहीं करनी चाहिए क्योंकि इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी जैसे प्रभावशाली नेताओं को भी चुनावों में हार का सामना करना पड़ा था। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के पिछले साल के विधानसभा चुनाव के दौरान ‘मी पुन: येन' (मैं दोबारा आउंगा) के राग की आलोचना करते हुए, पवार ने कहा कि मतदाताओं ने सोचा कि इस रुख में अहंकार की बू आ रही है और महसूस किया कि इन्हें सबक सिखाया जाना चाहिए। 

 

मै नहीं हूं रिमोट कंट्रोल: पवार 
पवार ने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे नीत सत्तारूढ़ महा विकास आघाड़ी के सहयोगियों- शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस में मतभेदों की खबरों में ‘‘रत्ती भर भी सच्चाई” नहीं है। दिग्गज नेता ने कहा कि वह महाराष्ट्र विकास आघाड़ी (एमवीए) के न तो हेडमास्टर हैं न ही रिमोट कंट्रोल तथा उन्होंने साफ किया कि सरकार ठाकरे और उनके मंत्री चला रहे हैं। उन्होंने शिवसेना नेता एवं पार्टी के मुखपत्र ‘सामना' के कार्यकारी संपादक संजय राउत द्वारा लिए गए एक साक्षात्कार में ये बातें कहीं। तीन हिस्सों वाली साक्षात्कार श्रृंखला का पहला अंश मराठी दैनिक में शनिवार को प्रकाशित किया गया है। पहली बार किसी गैर शिवसेना नेता का पार्टी के मुखपत्र में लंबा साक्षात्कार प्रकाशित हुआ है।

 

लोगों को हल्के में ना लें नेता
राज्य में पिछले विधानसभा चुनावों में भाजपा के प्रदर्शन को लेकर पूछे गए सवाल पर पवार ने कहा कि लोकतंत्र में, आप यह नहीं सोच सकते कि आप हमेशा के लिए सत्ता में रहेंगे। मतदाता इस बात को बर्दाश्त नहीं करेंगे कि उन्हें महत्व नहीं दिया जा रहा। मजबूत जनाधार रखने वाले इंदिरा गांधी और अटल बिहार वाजपेयी जैसे प्रभावशाली नेता भी हार गए थे। इसका मतलब है कि लोकतांत्रिक अधिकारों के लिहाज से, आम आदमी नेताओं से ज्यादा बुद्धिमान है। अगर हम नेता सीमा पार करते हैं तो वे हमें सबक सिखाएंगे। इसलिए लोगों को यह रुख पसंद नहीं आया कि, ‘हम सत्ता में लौटेंगे। किसी भी नेता को लोगों को हल्के में नहीं लेना चाहिए। किसी को यह रुख नहीं अपनाना चाहिए कि वह सत्ता में लौटेगा। लोगों को लगता है कि इस रुख से अहंकार की बू आ रही है और इसलिए उनमें यह विचार मजबूत हुआ कि उन्हें सबक सिखाना चाहिए।” उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में सत्ता परिवर्तन एक दुर्घटना नहीं थी। 

 

पवार ने मीडिया पर भी लगाया आरोप 
पवार ने कहा कि महाराष्ट्र के लोगों ने राष्ट्रीय चुनाव के दौरान देश में प्रबल होती भावनाओं के अनुरूप मतदान किया। लेकिन विधानसभा चुनाव के दौरान मिजाज बदल गया। राज्य में लॉकडाउन को लेकर मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ उनके कथित मतभेद पर पूछे गए प्रश्न के जवाब में पवार ने कहा कि बिलकुल भी नहीं। क्या मतभेद? किस लिए? लॉकडाउन के पूरे समय, मेरी मुख्यमंत्री के साथ बेहतरीन बातचीत हुई और यह यह भी जारी है। पिछले साल नवंबर में शिवसेना, कांग्रेस और राकांपा को सरकार गठन के लिए साथ लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले पवार ने मीडिया को दोष दिया और तंज करते हुए कहा कि कोरोना वायरस के चलते लागू लॉकडाउन की वजह से खबरें जुटाने की गतिविधि कम हुई है और उन पर अखबरों के पन्ने भरने की जिम्मेदारी है। 

 

मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ खड़े हैं हम: पवार
पवार ने कहा कि मैं रिमोट कंट्रोल में यकीन नहीं करता हूं। सरकार मुख्यमंत्री और उनकी मंत्रिपरिषद से चल रही है। उन्होंने कहा कि शिवसेना के पूर्व सुप्रीमो ने वाजपेयी, लालकृष्ण आडवाणी और प्रमोद महाजन जैसे भाजपा नेताओं का सम्मान किया। सभी नेताओं ने ठाकरे के साथ अच्छा बर्ताव दिया और सत्ता साझा करने के लिए साथ आए। पवार ने कहा कि विभिन्न विचारधाराओं वाले तीन दल कोरोना वायरस के खिलाफ जंग में दृढ़ता से मुख्यमंत्री ठाकरे के साथ खड़े हैं। कोई और व्यवस्था होती तो यह नहीं होता। भले ही विचारधारा अलग हो, तीनों दल लोगों के लिए काम करने की दृष्टि के लिए साथ आए और इसे लेकर स्पष्टता है कि कौन सा रास्ता अपनाना है। हालांकि, केंद्र की तरफ से कोई समर्थन नहीं है। शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे और उद्धव ठाकरे के काम करने की शैली के बारे में उन्होंने कहा कि बालासाहेब भले ही कभी भी सत्ता में नहीं रहे लेकिन वह सत्ता की प्रेरक शक्ति थे। वह महाराष्ट्र में अपनी विचारधारा की वजह से सत्ता में थे। राकांपा प्रमुख ने कहा कि आज, सरकार विचारधारा की वजह से नहीं है। लेकिन उस शक्ति को लागू करने की जिम्मेदारी अब उद्धव ठाकरे के पास है।
 

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