Edited By ,Updated: 23 Nov, 2015 04:29 PM
पीरियड्स से गुजर रही 20 साल की एक लड़की ने शबरीमाला मंदिर के संयोजकों को स्क खुला पत्र लिखा है। दरअसल, हाल ही में शबरीमाला मंदिर देवास्वोम प्रेसिडेंट प्रयार गोपालकृष्णन ने एक बयान देते हुए कहा था कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की
नई दिल्ली: पीरियड्स से गुजर रही 20 साल की एक लड़की ने शबरीमाला मंदिर के संयोजकों को स्क खुला पत्र लिखा है। दरअसल, हाल ही में शबरीमाला मंदिर देवास्वोम प्रेसिडेंट प्रयार गोपालकृष्णन ने एक बयान देते हुए कहा था कि महिलाओं को मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति तब दी जाएगी जब उन्हें स्कैन करने वाली ऐसी मशीनें आ जाएगीं जो यह आंक सकें कि महिलाएं शुद्ध हैं यानि उन्हे पीरियड्स न आए हो। इस पर सवाल उठाते हुए पटियाला की रहने वाली निकिता आजाद ने एक खत लिखकर गोपालकृष्णन से सवाल पूछे हैं।
निकिता का लेटर 'यूथ की आवाज' वेबसाइट पर पोस्ट किया गया था और उसके बाद से 'हैप्पीटूब्लीड' का ट्रेंड ट्विटर और फेसबुक पर छाया हुआ है।
गौरतलब है कि 10 से 50 वर्ष की महिलाओं का मंदिर में प्रवेश वर्जित है क्यूंकि इस उम्र में वो मासिक धर्म/माहवारी से गुजर रही होती हैं और उन्हें अशुद्ध समझा जाता है। लेकिन अपने लेटर में निकिता ने लिखा है कि मैं 20 साल की हूं। पृथ्वी के सभी इंसानों की तरह मेरी भी आंखें, नाक, कान, होंठ, हाथ और पैर हैं। लेकिन दुर्भाग्यवश मेरे पास स्तन, नितम्ब और एक योनि है जिसमें से खून बहता है। मुझे हाल ही में पता चला है कि मेरे खून से शबरीमाला मंदिर अपवित्र हो जाएगा।
गोपालकृष्णन के बयान पर दुखी नीकिता ने बताया कि एक हिन्दू परिवार से होने के कारण उनके माता-पिता ने उन्हें हमेशा देवी-देवताओं की मूर्तियों के आगे झुककर प्रणाम करना सिखाया है।
हर साल वो चिंतपूर्णी, नैना देवी, वैष्णो देवी, चामुण्डा देवी, ज्वाला जी आदि के दर्शन को जाती हैं। बकौल निकिता, 'समाज के कुछ हिस्सों के लिए शायद 'उन दिनों में' लड़कियां अपवित्र हो जाती हैं लेकिन मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि देश के सबसे बड़े ऐतिहासिक मंदिरों में से एक में रक्तस्राव एक पाप माना जाता है।
अपने सम्मान को बचाए रखने के लिए मैं जिंदगी भर काली पॉलीथीन में सेनेटरी नैप्किन्स रखकर लाई हूं। मैंने अपना रक्तस्राव छुपाने के लिए घर से लेकर स्कूल-कॉलेजों तक न जाने क्या क्या सहा है लेकिन मैं माफी चाहती हूं कि मैं इस रक्तस्राव को रोक नहीं पाई। निकिता के लिखे इस खत का अभी तक मंदिर प्रशासन से कोई जवाब नहीं आया।