पाक में EPTB ने पंज तीरथ में हिंदू मंदिरों का नियंत्रण लेने से रोका

Edited By Tanuja,Updated: 15 Jan, 2019 12:47 PM

peshawar admin stop taking control of hindu temples in panj tirath

पाकिस्तान में हाल ही में हाल में राष्ट्रीय धरोहर घोषित पंज तीरथ में इवैक्यू प्रापर्टी ट्रस्ट बोर्ड (EPTB) ने पेशावर जिला प्रशासन को हिंदू मंदिरों का नियंत्रण लेने से रोक दिया है। EPTB पाकिस्तान में हिंदू और सिखों के ..

पेशावरः पाकिस्तान में हाल ही में हाल में राष्ट्रीय धरोहर घोषित पंज तीरथ में इवैक्यू प्रापर्टी ट्रस्ट बोर्ड (EPTB) ने पेशावर जिला प्रशासन को हिंदू मंदिरों का नियंत्रण लेने से रोक दिया है। EPTB पाकिस्तान में हिंदू और सिखों के धार्मिक स्थलों का प्रबंधन देखता है। ईपीटीबी ने कहा कि पंज तीरथ में हिंदू मंदिरों का नियंत्रण तब तक कोई नहीं ले सकता जब तक पेशावर हाईकोर्ट में दो मामले लंबित हैं।
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EPTB पेशावर के उपनिदेशक ने बताया कि कुछ दिन पहले खैबर पख्तूनख्वा पुरातत्व विभाग ने पंज तीरथ में मंदिरों को राष्ट्रीय विरासत घोषित किया था। हालांकि, इस बाबत EPTB को अब तक लिखित सूचना प्राप्त नहीं हुई है। पंज तीरथ में हिंदू मंदिर EPTB  की संपत्ति हैं। उन्होंने कहा कि EPTB  को विश्वास में लिए बिना ही पंज तीरथ में मंदिरों को राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर दिया गया। EPTB एक संघीय विभाग है जिसके अपने नियम और कानून हैं।  PunjabKesari
क्या है पंज तीरथ
पाकिस्तान के पेशावर में स्थित पंज तीरथ हिंदुओं का एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थान है। पंज तीरथ मंदिर और एक बगीचे के साथ-साथ पानी के पांच तालाबों की वजह से प्रसिद्ध है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कार्तिक मास में महाभारत के दौरान हस्तीनापुर के राजा पांडू ने यहां स्नान किया था और दो दिन तक पेड़ों के नीचे बैठकर पूजा-अर्चना की थी। यह धरोहर अब चाचा यूनुस पार्क और खैबर पख्तूनख्वा चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री के अंतर्गत आएगा। बता दें कि पंज तीरथ को राष्ट्रीय धरोहर घोषित करते डायरेक्टोरेट ने प्रांतीय अधिकारियों को आदेश देते हुए इसके आसपास के अतिक्रमण को हटाने और चारो तरफ दीवार खड़ी करने के लिए कहा था। इसके अलावा खैबर पंख्तूनख्वा सरकार द्वारा पंज तीरथ धरोहर को नुकसान पहुंचाने वाले आरोपी के लिए 20 लाख रुपए का जुर्माना और पांच साल की सजा का आदेश भी है। 
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इस खूबसूरत हिंदू तीर्थ स्थल को 1747 में अफगान दुर्रानी वंशज ने ध्वस्त कर दिया था। हालांकि, उसके बाद सिखों के राज में स्थानीय हिंदुओं ने 1800 में इसका पुन:निर्माण करवाया था। इस धरोहर को फिर से खड़ा करने के बाद कई सालों तक यह जगह हिंदुओं के लिए पूजा अर्चना का एक प्रमुख केंद्र भी था। ऐसा माना जाता है कि कार्तिक महीने के दौरान कई सालों तक पंज तीरथ के तालाब में हिंदू अक्सर स्नान करने आते थे और पेड़ों के नीचे बैठकर पूजा करते थे।
 

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