Edited By Radhika,Updated: 18 Aug, 2025 06:21 PM

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो उनकी यात्राएं काफी चर्चा में रहती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि उनकी इन यात्राओं का खर्च कौन उठाता है और क्या उन्हें भी आम लोगों की तरह विदेश जाने के लिए वीज़ा लेना पड़ता है?
नेशनल डेस्क: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब भी विदेश यात्रा पर जाते हैं, तो उनकी यात्राएं काफी चर्चा में रहती हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि उनकी इन यात्राओं का खर्च कौन उठाता है और क्या उन्हें भी आम लोगों की तरह विदेश जाने के लिए वीज़ा लेना पड़ता है? आइए इन सवालों के जवाब जानते हैं-
पीएम की विदेश यात्रा का खर्च कौन संभालता है?
प्रधानमंत्री की विदेश यात्राओं का खर्च मुख्य रूप से विदेश मंत्रालय (MEA) और प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) मिलकर उठाते हैं। विदेश मंत्रालय का प्रोटोकॉल डिवीजन इन यात्राओं की योजना बनाता है और बजट तैयार करता है। इसके अलावा जिस देश में प्रधानमंत्री जाते हैं, वहाँ का भारतीय दूतावास भी यात्रा के दौरान होने वाले खर्चों का प्रबंधन करता है। ये सभी खर्चे सार्वजनिक होते हैं और समय-समय पर संसद में भी इनकी जानकारी दी जाती है।

क्या प्रधानमंत्री को वीज़ा की ज़रूरत होती है?
नहीं, भारत के प्रधानमंत्री को विदेश यात्रा के लिए आम तौर पर वीज़ा की ज़रूरत नहीं होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उनके पास एक विशेष 'डिप्लोमैटिक पासपोर्ट' (राजनयिक पासपोर्ट) होता है, जिसका रंग मैरून होता है। यह पासपोर्ट भारत के राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, केंद्रीय मंत्रियों और उच्च-पदस्थ अधिकारियों को सरकारी काम के लिए जारी किया जाता है।
डिप्लोमैटिक पासपोर्ट की खासियतें
यह विशेष पासपोर्ट धारकों को कई सुविधाएँ देता है:
- वीज़ा से छूट: कई देशों में इस पासपोर्ट के साथ यात्रा करने पर वीज़ा की ज़रूरत नहीं होती
- तेज़ इमिग्रेशन: हवाई अड्डों पर इमिग्रेशन और सीमा शुल्क प्रक्रियाएं जल्दी पूरी हो जाती हैं
- विशेष प्रोटोकॉल: कुछ देशों में विशेष प्रोटोकॉल और सुरक्षा सुविधाएँ मिलती हैं
- वैधता: इसकी वैधता 5 साल की होती है
प्रधानमंत्री के दौरे से पहले संबंधित देश के दूतावास के साथ पहले से ही सभी औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं, जिससे यात्रा में कोई बाधा न आए।
पीएम मोदी की कुछ यात्राओं का खर्च
2025 में प्रधानमंत्री मोदी ने 14 देशों की यात्राएं कीं। इनमें से कुछ प्रमुख यात्राओं का कुल खर्च ₹66.8 करोड़ था
- फ्रांस: ₹25.5 करोड़
- अमेरिका: ₹16.5 करोड़
- सऊदी अरब: ₹15.5 करोड़
- थाईलैंड: ₹4.9 करोड़
- श्रीलंका: ₹4.4 करोड़