प्रधानमंत्री ने भाजपा नेताओं पर हमले को लेकर बंगाल सरकार की आलोचना की, ममता का मोदी पर पलटवार

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 12:57 AM

pm criticises bengal government for attack on bjp leaders

भूस्खलन प्रभावित उत्तर बंगाल में भाजपा के दो नेताओं पर हमला होने के बाद सोमवार को केंद्र और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक टकराव शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानून-व्यवस्था को लेकर तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की, जबकि मुख्यमंत्री ममता...

नेशनल डेस्क: भूस्खलन प्रभावित उत्तर बंगाल में भाजपा के दो नेताओं पर हमला होने के बाद सोमवार को केंद्र और राज्य सरकार के बीच राजनीतिक टकराव शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कानून-व्यवस्था को लेकर तृणमूल कांग्रेस की आलोचना की, जबकि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने उन पर "प्राकृतिक आपदा का राजनीतिकरण" करने का आरोप लगाया। उत्तर बंगाल में मूसलाधार बारिश के कारण भूस्खलन और बाढ़ की घटनाओं में 30 लोगों की मौत हो गई और कई लोग लापता हो गए। इसके एक दिन बाद, भाजपा सांसद खगेन मुर्मू और सिलीगुड़ी से विधायक शंकर घोष पर जलपाईगुड़ी के नागराकाटा में भीड़ ने हमला कर दिया। वे राहत स्थलों का दौरा कर रहे थे। खोज और बचाव अभियान के बीच इस घटना से राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने राज्य के उत्तरी हिस्से में भारतीय जनता पार्टी के दो नेताओं पर हमले को लेकर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार की आलोचना की थी। प्रधानमंत्री ने ‘एक्स' पर पोस्ट में इस घटना की आलोचना की थी और कहा था कि यह घटना पश्चिम बंगाल में कानून-व्यवस्था की "बेहद दयनीय" स्थिति को उजागर करती है। प्रधानमंत्री ने पोस्ट में कहा, "पश्चिम बंगाल में बाढ़ और भूस्खलन प्रभावित लोगों की सेवा करने वाले हमारे पार्टी सहयोगियों, जिनमें एक मौजूदा सांसद और विधायक भी शामिल हैं पर जिस तरह से हमला किया गया, वह बेहद भयावह है। यह टीएमसी की असंवेदनशीलता और राज्य में कानून-व्यवस्था की बेहद दयनीय स्थिति को उजागर करता है।"

प्रधानमंत्री के पोस्ट पर बनर्जी ने ‘एक्स' पर एक विस्तृत बयान जारी किया, जिसमें उन्होंने लिखा, "यह दुर्भाग्यपूर्ण और बेहद चिंताजनक है कि भारत के प्रधानमंत्री ने उचित जांच का इंतजार किए बिना एक प्राकृतिक आपदा का राजनीतिकरण करने का फैसला किया है, खासकर तब जब उत्तर बंगाल में लोग विनाशकारी बाढ़ और भूस्खलन के बाद की स्थिति से जूझ रहे हैं।" उन्होंने आरोप लगाया कि जब प्रशासन और पुलिस राहत और बचाव कार्य में लगे हुए थे, तब भाजपा नेताओं ने "बड़ी संख्या में कारों के काफिले के साथ और केंद्रीय बलों के सुरक्षा घेरे में प्रभावित क्षेत्रों में जाने का फैसला किया" और वह भी "स्थानीय पुलिस और प्रशासन को कोई सूचना दिए बिना।" इससे पहले दिन में, शंकर घोष द्वारा साझा किए गए वीडियो में घायल मुर्मू के चेहरे और नाक से खून बहता हुआ दिखाई दे रहा था। घोष ने आरोप लगाया कि सत्तारूढ़ टीएमसी से जुड़े स्थानीय लोगों ने दोनों को "लात-घूंसे मारे और पत्थर फेंके"।

केंद्रीय राज्य मंत्री सुकांत मजूमदार, जो राज्य भाजपा के पूर्व अध्यक्ष हैं, ने भी सत्तारूढ़ पार्टी पर निशाना साधते हुए आरोप लगाया कि मुर्मू और घोष पर "ममता-पुलिस की मौजूदगी में क्रूरतापूर्वक हमला किया गया।" मुख्यमंत्री ने प्रश्न किया, "इस घटना के लिए राज्य प्रशासन, स्थानीय पुलिस या तृणमूल कांग्रेस को कैसे दोषी ठहराया जा सकता है?" प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर कड़ी आपत्ति जताते हुए बनर्जी ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री ने बिना किसी प्रमाणित सबूत, कानूनी जांच या प्रशासनिक रिपोर्ट के सीधे तौर पर तृणमूल कांग्रेस और पश्चिम बंगाल सरकार को दोषी ठहराया है। यह सिर्फ़ एक राजनीतिक पतन नहीं है; यह उन संवैधानिक मूल्यों का उल्लंघन है जिनकी रक्षा की शपथ प्रधानमंत्री ने ली है। किसी भी लोकतंत्र में, कानून को अपना काम करना चाहिए, और केवल उचित प्रक्रिया ही दोषसिद्धि का निर्धारण कर सकती है - किसी राजनीतिक मंच से किया गया ट्वीट नहीं।''

उन्होंने कहा कि एक ऐसे प्रधानमंत्री की ओर से पश्चिम बंगाल के लिए अचानक चिंता सहानुभूति कम और अवसरवादी राजनीतिक नाटक अधिक प्रतीत होती है, जिन्होंने जातीय हिंसा से घिरे मणिपुर का केवल 964 दिन बाद दौरा किया था। बनर्जी ने जोर देकर कहा कि हिंसा की निंदा की जानी चाहिए, लेकिन "यह पक्षपातपूर्ण ढंग से अपनी छाती ठोकने का समय नहीं है। यह मदद करने और घाव भरने का समय है।"

भाजपा पर विभाजन पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा, "यह भी स्पष्ट है कि भाजपा चुनाव से पहले लोगों का ध्रुवीकरण करने की उम्मीद में उत्तर बंगाल बनाम दक्षिण बंगाल की घिसी-पिटी कहानी का सहारा ले रही है। हमें स्पष्ट कर देना चाहिए: बंगाल एक है - भावनात्मक, सांस्कृतिक और राजनीतिक रूप से।" उन्होंने मोदी से अपील करते हुए कहा, ‘‘ मैं प्रधानमंत्री से आग्रह करती हूं कि आप निर्वाचित राज्य सरकार की बात सुनें, न कि केवल अपने पार्टी सहयोगियों की। आप भारत के प्रधानमंत्री हैं, न कि केवल भाजपा के। आपकी जिम्मेदारी राष्ट्र निर्माण की है न कि विमर्श गढ़ने की।'' 

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