श्रीनगर में पुलिस ने डॉक्टर के साथ दुर्व्यवहार किया, मेडिकल समुदाय में नाराजगी

Edited By Monika Jamwal,Updated: 26 May, 2020 09:21 AM

police misbehaved with doctor in srinagar

पुलिस ने पिछले हफ्ते यहां एक वरिष्ठ डॉक्टर को कथित तौर पर एक दिन के लिए हिरासत में रखा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया।

श्रीनगर : पुलिस ने पिछले हफ्ते यहां एक वरिष्ठ डॉक्टर को कथित तौर पर एक दिन के लिए हिरासत में रखा और उनके साथ दुर्व्यवहार किया गया। डॉक्टर उस समय अपनी ड्यूटी पर अस्पताल जा रहे थे। इस घटना को लेकर मेडिकल बिरादरी में नाराजगी है। वरिष्ठ हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ सैयद मकबूल ने कहा कि यह घटना शनिवार को हुयी। उन्होंने बताया कि २३ मई की सुबह उनकी ड्यूटी एसएमएचएस अस्पताल में थी। हवल चौराहे पर एक पुलिसकर्मी ने उन्हें रोका और वापस जाने को कहा। उन्होंने उसे अपना पहचान पत्र व ड्यूटी रोस्टर दिखाया और निवेदन किया कि उन्हें जाने की इजाजत दी जाए, क्योंकि ट्रैफिक जाम के कारण उन्हें पहले ही देर हो चुकी है। उन्होंने दावा किया कि पुलिसकर्मी ने उनके साथ दुर्व्यवहार किया और मारपीट तक की। बाद में उन्हें उनके वाहन के साथ एसएचओ द्वारा पुलिस स्टेशन ले जाया गया।

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डॉक्टर ने कहा कि एसएचओ ने उनका फोन छीन लिया। मकबूल ने कहा कि उन्हें एक दिन थाने में बिताने और एक बांड पर हस्ताक्षर करने के बाद रिहा किया गया। इस घटना से मेडिकल बिरादरी में नाराजगी पैदा हो गयी और गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज श्रीनगर की प्राचार्य डॉ सामिया राशिद ने त्वरित कार्रवाई की मांग की है। एसएसपी श्रीनगर हसीब मुगल ने घटना की जांच का आदेश देते हुए कहा कि डॉक्टर के खिलाफ एक पुलिसकर्मी को ड्यूटी करने से रोकने के लिए पुलिस में शिकायत दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि थाने से रिहा किए जाने के बाद डॉक्टर इस मामले को सोशल मीडिया में ले गए।

उन्होंने कहा, "केवल खुद का बचाव करने का तरीका हो सकता है। इसलिए उन्होंने भी मुझसे एक शिकायत की है। मैंने उन्हें आश्वासन दिया कि अगर आपकी कुछ शिकायत है, तो हम एसपी हजरतबल से इसकी जांच कराएंगे, जो आईपीएस अधिकारी हैं।" पुलिस अधिकारी ने कहा कि यह मामला समाप्त हो सकता था। लेकिन डॉक्टर ने इस मुद्दे को राजनीतिक बनाना शुरू कर दिया और किसी सरकारी कर्मचारी को ऐसा नहीं करना चाहिए था। उन्होंने कहा, "सरकारी कर्मचारी के लिए दो विकल्प हैं - या तो प्रशासनिक निवारण की तलाश करें या कानूनी निवारण की तलाश करें। किसी सरकारी कर्मचारी के लिए मीडिया में मामला उछालना उचित नहीं है। उसने सेवा नियमों का उल्लंघन किया है।ज्ज्

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