ऑफ द रिकॉर्डः प्रशांत किशोर हो रहे हैं हताश

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 May, 2018 11:46 AM

prashant kishor are getting desperated

प्रशांत किशोर फिर सुर्खियों में हैं, इसलिए नहीं कि वह मौजूदा समय में जगन रैडी की वाई.एस.आर. कांग्रेस को सलाह दे रहे हैं मगर इसलिए कि प्रशांत किशोर जब से जगन रैड्डी के साथ जुड़े हैं उनके अच्छे दिन आ गए हैं। चंद्रबाबू नायडू भाजपा से अलग हो गए हैं और...

नेशनल डेस्कः प्रशांत किशोर फिर सुर्खियों में हैं, इसलिए नहीं कि वह मौजूदा समय में जगन रैडी की वाई.एस.आर. कांग्रेस को सलाह दे रहे हैं मगर इसलिए कि प्रशांत किशोर जब से जगन रैड्डी के साथ जुड़े हैं उनके अच्छे दिन आ गए हैं। चंद्रबाबू नायडू भाजपा से अलग हो गए हैं और एन.डी.ए. सरकार को भी अलविदा कह दिया है। अगर सभी परिस्थितियां योजना के अनुसार चलती रहीं तो वाई.एस.आर. कांग्रेस और भाजपा के बीच आपसी सूझबूझ के लिए मंच साफ हो जाएगा। यह बात भी स्वीकार की जा रही है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार कटु विवाद के बाद अब प्रधानमंत्री मोदी के साथ हाथ मिला रहे हैं। प्रशांत किशोर नीतीश कुमार के भी 2015 के विधानसभा चुनावों में चुनावी रणनीतिकार रहे हैं जिनमें भाजपा और मोदी को हार का सामना करना पड़ा था। स्मरण रहे कि यह वही प्रशांत किशोर हैं जिन्होंने मोदी की 2014 के लोकसभा चुनावों की रणनीति तैयार की थी और गुजरात में बैठ कर चुनावों से 3 वर्ष पहले ही काम शुरू कर दिया था। वह मोदी के इतने अधिक करीब थे कि वह मुख्यमंत्री के बंगले में ही रहा करते थे और उनकी समूची टीम को निकटवर्ती इमारत में ठहराया गया था।
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फंड की कोई समस्या नहीं थी और प्रशांत के काम के अच्छे नतीजे निकले। मोदी 16 मई को चुनाव जीत गए और प्रशांत किशोर को अपना बोरिया-बिस्तर समेटने और परिसर व इमारत को खाली करने के लिए कहा गया। मोदी का इससे कोई लेना-देना नहीं था। चर्चा यह है कि ये सब कुछ कैसे हुआ, इस बारे में कोई भी अनुमान लगा सकता है। 4 साल बाद मोदी का करिश्मा धुंधला हो रहा है और चमक भी कम हो गई है। यद्यपि वह राज्यों में एक के बाद एक चुनाव जीत रहे हैं, 2019 के लोकसभा चुनावों में वह कमजोर ‘विकेट’ पर हैं। इस पृष्ठभूमि में मोदी और प्रशांत किशोर के बीच बैठक हुई थी।

प्रशांत ने निजी तौर पर दावा किया कि बैठक हुई थी और मतभेद भी कम हुए मगर पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने स्पष्ट तौर पर इस बात का खंडन किया कि भाजपा का प्रशांत किशोर के साथ कोई संबंध है। यह भी चर्चा है कि प्रशांत एक बार फिर मोदी के लिए काम कर सकते हैं। प्रशांत मान्यता चाहते हैं। नीतीश ने उन्हें राजनीतिक पुरस्कार देने का वायदा किया था मगर उन्हें राज्यसभा की टिकट नहीं दी और केवल राजनीतिक सलाहकार ही बना दिया। हो सकता है कि उनके अच्छे दिन अभी आने बाकी हैं।

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