प्रेमानंद महाराज की तबीयत पर आया बड़ा अपडेट, डायलिसिस अब रोजाना!

Edited By Updated: 07 Oct, 2025 04:30 PM

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शरीर चाहे जैसे भी हालात में हो, अगर मन भक्ति से जुड़ा हो तो व्यक्ति संकट में भी आशा की किरण बन जाता है। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज इसकी जीवंत मिसाल हैं। गंभीर किडनी रोग से पीड़ित होने और प्रतिदिन डायलिसिस कराने की मजबूरी के बावजूद उन्होंने...

वृंदावन: शरीर चाहे जैसे भी हालात में हो, अगर मन भक्ति से जुड़ा हो तो व्यक्ति संकट में भी आशा की किरण बन जाता है। वृंदावन के संत प्रेमानंद महाराज इसकी जीवंत मिसाल हैं। गंभीर किडनी रोग से पीड़ित होने और प्रतिदिन डायलिसिस कराने की मजबूरी के बावजूद उन्होंने भक्तों को मुस्कुराहट और संकल्प का अद्भुत संदेश दिया है। जहां आमजन एक छोटी सी बीमारी में हिम्मत हार बैठते हैं, वहीं प्रेमानंद महाराज की ज़िंदादिली और राधा नाम की लगन ने भक्तों को आध्यात्मिक ऊर्जा का नया स्रोत दे दिया है।

सेहत से जूझते, पर भक्ति से अडिग
संत प्रेमानंद महाराज को Polycystic Kidney Disease नामक आनुवंशिक बीमारी पिछले लगभग दो दशकों से है। यह बीमारी धीरे-धीरे उनकी दोनों किडनियों को निष्क्रिय कर चुकी है। पहले जहां सप्ताह में 5 दिन डायलिसिस किया जाता था, अब उन्हें रोजाना डायलिसिस की जरूरत पड़ रही है। इसके चलते उनका प्रतिदिन सुबह 2 बजे श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी से रमण रेती स्थित काली कुंज आश्रम तक की लगभग 2 किलोमीटर पदयात्रा अस्थायी रूप से रोक दी गई है – वह यात्रा जिसमें हर दिन हज़ारों भक्त दर्शन हेतु शामिल होते थे।

महाराज अब श्रीकृष्ण शरणम् सोसाइटी स्थित अपने निवास में रहकर ही चिकित्सा ले रहे हैं। पास के ही एक फ्लैट को डायलिसिस सुविधा के लिए विशेष रूप से तैयार किया गया है, जहाँ एक छह सदस्यीय चिकित्सक टीम – जिसमें ऑस्ट्रेलिया के एक हृदय विशेषज्ञ भी शामिल हैं – उनकी देखरेख में जुटी है।

"हम बहुत अच्छे हैं" – भावुक लेकिन प्रेरणादायक संदेश
हालांकि शारीरिक पीड़ा स्पष्ट है, लेकिन प्रेमानंद महाराज का चेहरा आज भी मुस्कुराता है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्होंने भक्तों के लिए एक संदेश भेजा, जिसमें उन्होंने कहा: "कष्ट तो है, घबराहट भी होती है, पर बहुत कृपा है। हम बहुत अच्छे हैं। आप सब प्रसन्न रहिए और नाम जप कीजिए। जल्दी मिलेंगे।" यह संदेश न केवल भक्तों को आश्वस्त करता है, बल्कि उन्हें यह सिखाता है कि जीवन की कठिनाइयों में भी ईश्वर का स्मरण कभी नहीं छोड़ना चाहिए।

'नाम जप' का दिया पाठ, चिंता से ऊपर उठने की प्रेरणा
महाराज ने बार-बार यही दोहराया है कि चिंता नहीं, केवल भक्ति में ध्यान दो। उन्होंने अपने जीवन की गंभीर स्थिति को कभी केंद्र में नहीं रखा, बल्कि हर क्षण राधारानी की कृपा को प्राथमिकता दी। उनकी यह निस्वार्थ भक्ति ही उन्हें लाखों दिलों का आध्यात्मिक आधार बनाती है।

भक्तों की श्रद्धा: जीवनदान देने को तत्पर
महाराज के प्रति लोगों की श्रद्धा इस कदर है कि देशभर से लोग उनकी सेवा में अपनी किडनी तक देने को तैयार हैं।
राज कुंद्रा, फिल्म अभिनेत्री शिल्पा शेट्टी के पति, ने हाल ही में वृंदावन पहुंचकर उन्हें किडनी दान करने की इच्छा जताई।
इटारसी के आरिफ खान चिश्ती और दिनेश फलाहारी बाबा जैसे प्रमुख नाम भी अपना अंगदान प्रस्तावित कर चुके हैं।
हालांकि महाराज ने विनम्रता से इन सभी प्रस्तावों को ठुकरा दिया है। उन्होंने कहा कि वह इन दानदाताओं को वृंदावन बुलाकर सम्मानित करेंगे, पर अंगदान स्वीकार नहीं करेंगे।

कौन हैं प्रेमानंद महाराज?
कानपुर जिले के आकरी गांव में जन्मे, संत प्रेमानंद महाराज का मूल नाम अनिरुद्ध कुमार पांडे था। मात्र 13 वर्ष की उम्र में घर छोड़कर वे आध्यात्मिक साधना के पथ पर चल पड़े।
बनारस में गौरी शरण जी महाराज के सान्निध्य में उन्होंने लगभग डेढ़ वर्ष तक कठोर साधना की।
बाद में वृंदावन आकर वे पूरी तरह राधा नाम के जप में लीन हो गए।
यहां तक कि उन्होंने अपनी दोनों निष्क्रिय किडनियों को भी "कृष्णा" और "राधा" नाम दिया है – यह दिखाता है कि वे अपने शरीर के हर अंग में भी भक्ति का भाव ढूंढ लेते हैं।
 

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