जाति व धर्म के आधार पर कैदियों को अलग नहीं किया जाए, गृह मंत्रालय ने राज्यों से कहा

Edited By rajesh kumar,Updated: 29 Feb, 2024 07:57 PM

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केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाए और उन्हें जेल की रसोई का काम संभालने जैसे कार्य देने में इस आधार पर भेदभाव बंद होना चाहिए।

नेशनल डेस्क: केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से कहा है कि कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग नहीं किया जाए और उन्हें जेल की रसोई का काम संभालने जैसे कार्य देने में इस आधार पर भेदभाव बंद होना चाहिए। गृह मंत्रालय ने एक विज्ञप्ति में कहा कि कुछ राज्यों के जेल ‘मैनुअल' में कैदियों को उनकी जाति और धर्म के आधार पर अलग-अलग रखने का उल्लेख है और उन्हें जेल में उसी आधार पर काम सौंपे जा रहे हैं।

विज्ञप्ति में कहा गया, ‘‘गौरतलब है कि भारत का संविधान धर्म, नस्ल, जाति या जन्म स्थान के आधार पर किसी भी तरह के भेदभाव पर रोक लगाता है। गृह मंत्रालय द्वारा तैयार और मई 2016 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को वितरित किए गए मॉडल जेल मैनुअल, 2016 में रसोई के प्रबंधन या भोजन पकाने में कैदियों के साथ जाति और धर्म-आधारित भेदभाव को स्पष्ट रूप से प्रतिबंधित किया गया है।''

इसमें कहा गया, ‘‘मैनुअल में यह भी उल्लेख है कि किसी जाति या धर्म विशेष के कैदियों के समूह के साथ विशेष व्यवहार पर सख्त पाबंदी है।'' गृह मंत्रालय ने कहा है कि यदि ऐसा कोई प्रावधान है तो मैनुअल अथवा कानून से भेदभाव वाले प्रावधानों को हटाने या संशोधन के लिए तत्काल कदम उठाए जाने चाहिए। 

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