'चौकीदार चोर है' पर CJI ने लगाई फटकार, राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी

Edited By Pardeep,Updated: 30 Apr, 2019 03:32 PM

rahul gandhi apologized to supreme court on chowkidar chor hai

'चौकीदार चोर है' मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को फटकार लगाई है। सीजेआई ने राहुल से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में कहां कहा गया कि 'चौकीदार चोर है'।

नई दिल्ली: 'चौकीदार चोर है' मामले में सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी को फटकार लगाई है। वहीं सीजेआई की फटकार पर राहुल गांधी ने सुप्रीम कोर्ट में माफी मांगी। सीजेआई ने राहुल से पूछा कि सुप्रीम कोर्ट में कहां कहा गया कि 'चौकीदार चोर है'। चीफ जस्टिस ने कहा कि कोर्ट के हवाले से आप कैसे किसी पर आरोप लगा सकते हैं और बयान दे सकते हैं। सीजेआई ने कोर्ट की अवमानना करने पर नाराजगी जताई है। राहुल गांधी की तरफ से पेश हुए वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि तीन जगह पर हुई गलतियों के लिए कांग्रेस अध्यक्ष माफी मांगते हैं। वहीं राहुल के माफी मांगने के तुरंत बाद ही कांग्रेस का बयान आया कि कांग्रेस अध्यक्ष ने अपनी गलती मानी है। उनका मकसद किसी चौकीदार को चौर कहना नहीं था।
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उल्लेखनीय है कि हाल ही में शीर्ष अदालत राफेल डील के लीक दस्तावेजों को सबूत मानकर मामले की दोबारा सुनवाई के लिए राजी हो गई थी। इस पर राहुल ने कहा था कि कोर्ट ने मान लिया कि 'चौकीदार चोर है।' इसके बाद भाजपा नेता मीनाक्षी लेखी ने कांग्रेस अध्यक्ष के खिलाफ अवमानना का केस दायर कर दिया था। इस पर कोर्ट ने राहुल को बिना नोटिस जारी किए ही जवाब मांगा। राहुल ने सोमवार को माना था कि कोर्ट ने ऐसा कुछ नहीं कहा और गर्म चुनावी माहौल में जोश में उनके मुंह से यह बात निकल गई। उन्होंने अपनी टिप्पणी पर खेद जताया था पर माफी नहीं मांगी थी।
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सुप्रीम कोर्ट में लगाई गई थी पुनर्विचार याचिका
सुप्रीम कोर्ट ने 14 दिसंबर 2018 के फैसले में राफेल डील को तय प्रक्रिया के तहत होना बताया था। अदालत ने उस वक्त डील को चुनौती देने वाली सभी याचिकाएं खारिज कर दी थीं। पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने डील के दस्तावेजों के आधार पर इस फैसले के खिलाफ पुनर्विचार याचिकाएं दायर की थीं। इनमें कुछ गोपनीय दस्तावेजों की फोटो कॉपी लगाई गई थीं। इस पर अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने केंद्र की ओर से आपत्ति दर्ज कराई थी थी। उन्होंने कहा था कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम की धारा 123 के तहत विशेषाधिकार वाले गोपनीय दस्तावेजों की प्रतियों को पुनर्विचार याचिका का आधार नहीं बनाया जा सकता। शीर्ष अदालत ने उनकी यह दलील खारिज कर दी थी। 
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