निजी ट्रेनों के पल-पल का हिसाब रखेगा रेलवे, तय समय से पहले पहुंचने पर भी लेगा जुर्माना

Edited By vasudha,Updated: 13 Aug, 2020 04:01 PM

railways will keep track of private trains

रेलवे ने निजी संचालकों के लिये प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों को लेकर एक मसौदा जारी किया है, जिसके अनुसार अगर उनके द्वारा संचालित रेलगाड़ियां विलंब से चलती हैं अथवा गंतव्य पर समय पूर्व पहुंचती हैं तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। बुधवार को जारी हुए...

बिजनेस डेस्क: रेलवे ने निजी संचालकों के लिये प्रदर्शन के प्रमुख संकेतकों को लेकर एक मसौदा जारी किया है, जिसके अनुसार अगर उनके द्वारा संचालित रेलगाड़ियां विलंब से चलती हैं अथवा गंतव्य पर समय पूर्व पहुंचती हैं तो उन्हें भारी जुर्माना देना होगा। बुधवार को जारी हुए मसौदे में कहा गया कि निजी ट्रेन संचालकों को वर्ष में 95 प्रतिशत तक समय का पालन करना होगा। मसौदे के अनुसार संचालकों को प्राप्त राजस्व के बारे में गलत जानकारी देने पर अथवा ट्रेन रद्द करने के बारे में सही जानकारी नहीं देने पर जुर्माना देना होगा। 

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मसौदे के अनुसार, अगर रेलगाड़ी को गंतव्य तक पहुंचने में 15 मिनट से ज्यादा की देरी होती है तो इसे समय का पालन करने में विफलता माना जाएगा। दस्तावेज में कहा गया कि ऐसे मामले में निजी संचालक को समय की पाबंदी के मुकाबले में समयबद्धता में प्रति एक प्रतिशत कमी के लिए 200 किलोमीटर का अतिरिक्त ढुलाई शुल्क रेलवे को देना होगा। रेलवे ने कहा कि ढुलाई शुल्क 512 रुपए प्रति किलोमीटर होगा। यह वह शुल्क है जो निजी संचालक रेलवे की आधारभूत संरचना का इस्तेमाल करने के एवज में उसे देगा। 

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यदि कोई निजी रेलगाड़ी कम से कम 10 मिनट पहले गंतव्य पर पहुंचती है, तो संचालक को रेलवे को जुर्माने के तौर पर 10 किलोमीटर का ढुलाई शुल्क देना होगा। अधिकारियों ने कहा कि ये कदम इसलिए है ताकि निजी रेलगाड़ियां समय का पालन करें। इसमें यह भी कहा गया है कि यदि रेलगाड़ी रेलवे कही वजह से गंतव्य तक वक्त पर नहीं पहुंचती है तो रेलवे उसकी रकम अदा करेगा। 

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इसमें यह भी कहा गया है कि संचालक की तरफ से रेल सेवा रद्द करने की हालत में वह हर्जाने के तौर पर उस रेलगाड़ी के लिए रेलवे को एक चौथाई ढुलाई शुल्क देगा। वहीं, यदि रेलवे की तरफ से रेल सेवा रद्द की जाती है तो रेलवे संचालक को उतना ही शुल्क देगा। यदि खराब मौसम, मवेशी का रेलगाड़ी के नीचे आ जाना, किसी मनुष्य का रेलगाड़ी के नीचे आ जाना, कानून व्यवस्था, सार्वजनिक प्रदर्शन, आपराधिक गतिविधि, दुर्घटना जैसे कारणों से किसी रेलगाड़ी की समय की पाबंदी प्रभावित होती है तो किसी को भी हर्जाना नहीं देना होगा। 
 

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