राजस्थानः कोटा में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर हुआ 107, बूंदी में भी 10 मासूमों ने तोड़ा दम

Edited By Anil dev,Updated: 04 Jan, 2020 11:25 AM

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राजस्थान में कोटा के जे.के. लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर हुआ 107 हो गया है। वहीं मासूमों की मौत के बाद अब कोटा के बाद बूंदी में भी यह संक्रमण फैल गया है। जहां 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। इसी बीच कोटा मामले में गठित जांच...

कोटा: राजस्थान में कोटा के जे.के. लोन अस्पताल में बच्चों की मौत का आंकड़ा बढ़कर हुआ 107 हो गया है। वहीं मासूमों की मौत के बाद अब कोटा के बाद बूंदी में भी यह संक्रमण फैल गया है। जहां 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। इसी बीच कोटा मामले में गठित जांच समिति ने दो दिन पहले अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।  बच्चों की मौत के मामले में राजस्थान में कोटा के जेके लोन अस्पताल में स्वास्थ्य सेवाएं सवालों के घेरे में हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने पिछले दिनों हॉस्पिटल की जांच के दौरान पाया कि किसी भी खिड़की के शीशे नहीं थे। दरवाजे टूटे हुए थे। 

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मंत्री की शान में बिछे कालीन
दूसरी तरफ राज्य के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने अस्पताल पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। हालांकि मंत्री के अस्पताल पहुंचने से पहले उनके लिए कालीन बिछाया गया था लेकिन मीडिया के जमावड़े के बाद प्रशासन ने कालीन को हटवा दिया ताकि किसी भी प्रकार की किरकिरी से बचा जा सके। ध्यान रहे कि यह वही जे.के. लोन अस्पताल है जहां 104 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। इस मामले पर राष्ट्रीय स्तर पर हंगामा मचा हुआ है। राजस्थान में अभी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अगुवाई में कांग्रेस सरकार का शासन चल रहा है। ऐसे में मीडिया में बच्चों की मौत का मामला गर्माता देख कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी भी संज्ञान ले चुकी हैं। दरअसल, अशोक गहलोत सरकार चौतरफा विरोध का सामना कर रही है। विपक्षी भाजपा राज्य सरकार पर निशाना साध रही है। दूसरी तरफ सी.एम. गहलोत इस मुद्दे पर सियासत नहीं करने की अपील कर रहे हैं। भाजपा ने राजस्थान सरकार और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को निशाने पर लिया। वहीं कोटा के बाद बूंदी में भी यह संक्रमण फैल गया है। जहां 10 मासूम जिंदगी की जंग हार चुके हैं। इसी बीच कोटा मामले में गठित जांच समिति ने दो दिन पहले अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।

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अस्पताल के 71 में से 44 वॉर्मर खराब
नवजात शिशुओं का तापमान 36.5 डिग्री तक होना चाहिए। इसके लिए नर्सरी में वॉर्मर के जरिए उनके तापमान को 28 से 32 डिग्री के बीच रखा जाता है। अस्पाल में मौजूद 71 में से 44 वॉर्मर खराब हैं। जिसके कारण नर्सरी में तापमान गिर गया और बच्चे हाइपोथर्मिया के शिकार हो गए।

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बच्चों की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगे थे मां-बाप
दिसंबर 2019 के आखिरी दो दिनों में 9 और बच्चों की मौत से अस्पताल में मरने वाले बच्चों की संख्या 100 पहुंच गई थी और अब बढ़कर संख्या 105 हो गई है यानी जब हम 2019 को विदा करने और नए साल के स्वागत का जश्न मना रहे थे, तो कोटा के इस अस्पताल में कई मां-बाप अपने बच्चों की जिंदगी बचाने की जद्दोजहद में लगे थे।

 

 

 

 

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