राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व वाले पैनल ने आज पेश की One Nation-One Election पर रिपोर्ट

Edited By Mahima,Updated: 14 Mar, 2024 12:43 PM

ram nath kovind led panel today presented report

भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति में गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वन नेशन वन पोल (ओएनओपी) पर उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति भवन में एक रिपोर्ट पेश की है।

नेशनल डेस्क: भारत के पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अगुवाई वाली समिति में गुरुवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वन नेशन वन पोल (ओएनओपी) पर उच्च स्तरीय समिति ने राष्ट्रपति भवन में एक रिपोर्ट पेश की है। सूत्रों ने कहा कि आठ खंडों में लगभग 18,000 पेजों की है। 2 सितंबर, 2023 को इसके गठन के एक्सपर्ट के साथ चर्चा और 191 दिनों की रिसर्च के बाद यह रिपोर्ट सौंपी गई है। पैनल देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के अंतिम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश की है। 

प्रस्तावित रिपोर्ट लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एक एकल मतदाता सूची पर भी ध्यान केंद्रित करेगी। अभी लोकसभा और विधानसभा चुनाव के लिए अलग मतदाता सूची तैयार की जाती है। वहीं, स्थानीय नगर निकायों और पंचायतों के चुनाव के लिए राज्य निर्वाचन आयोग की देखरेख में मतदाता सूची होती है। इस रिपोर्ट के पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा चुनाव के बारे में बताया गया है। दूसरे चरण में नगर पालिकाओं और पंचायतों को लोकसभा-विधानसभा के साथ इस तरह जोड़ने के लिए कहा गया है कि निकायों के चुनावों को लोकसभा और विधानसभा चुनाव के 100 दिनों के अंदर करा लिया जाए।

पिछले सितंबर में गठित, समिति को मौजूदा संवैधानिक ढांचे को ध्यान में रखते हुए लोकसभा, राज्य विधानसभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करने और सिफारिशें करने का काम सौंपा गया है। कोविंद की अध्यक्षता वाले इस पैनल में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी शामिल हैं। लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी पैनल का सदस्य बनाया गया था, लेकिन उन्होंने समिति को पूरी तरह दिखावा करार देते हुए मना कर दिया। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल पैनल में विशेष आमंत्रित सदस्य हैं।

बता दें कि एक देश-एक चुनाव का मतलब है कि देश में होने वाले सारे चुनाव एक साथ किए जाएं। दरअसल, आजादी के बाद कुछ सालों तक लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ ही होते रहे हैं। थे लेकिन बाद में समय से पहले विधानसभा भंग होने और सरकार गिरने के कारण ये परंपरा टूट गई।

यहां पढ़ें पूरी रिपोर्ट

रिपोर्ट में दी गई यह सलाह
-लोकसभा और राज्य विधान सभाओं के आम चुनावों के साथ-साथ पंचायतों और नगर पालिकाओं में चुनाव कराने के लिए अनुच्छेद 324A की शुरुआत की जानी चाहिए
-एकल मतदाता सूची और एकल मतदाता फोटो पहचान पत्र को सक्षम करने के लिए अनुच्छेद 325 में संशोधन किया जाए
-सूची और पहचान पत्र में संशोधन का काम राज्य चुनाव आयोग की सलाह पर भारत का चुनाव आयोग करे

जानें क्या हैं इसके लाभ?
-एक देश-एक चुनाव बिल लागू होने से पूरे देश में हर साल होने वाले चुनावों पर खर्च होने वाली भारी धनराशि बच जाती है। 1951-1952 लोकसभा चुनाव में 11 करोड़ रुपये खर्च हुए थे, जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में 60 हजार करोड़ रुपये की भारी भरकम धनराशि खर्च हो गई थी। 

-भारत जैसे विशाल देश में हर साल कहीं न कहीं चुनाव होते रहते हैं। इन चुनावों के आयोजन में पूरी की पूरी स्टेट मशीनरी और संसाधनों का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन यह बिल लागू होने से चुनावों की बार-बार की तैयारी से छुटकारा मिल जाएगा। पूरे देश में चुनावों के लिए एक ही वोटर लिस्ट होगी, जिससे सरकार के विकास कार्यों में रुकावट नहीं आएगी।

-यह भी कहा जाता है कि इससे कालेधन और भ्रष्टाचार पर रोक लगने में मदद मिलेगी। चुनावों के दौरान विभिन्न राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों पर ब्लैक मनी के इस्तेमाल का आरोप लगता रहा है। लेकिन कहा जा रहा है कि यह बिल लागू होने से इस समस्या से बहुत हद तक छुटकारा मिलेगा।

 

 

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